निम्न आय वाले व्यक्तियों को अनाज सब्सिडी और उनके द्वारा ‘जंक फूड’ की खरीद
सरकारें कम आय वाले समुदायों में कुपोषण को दूर करने के लिए महंगे खाद्य सब्सिडी कार्यक्रमों पर निर्भर हैं, हालाँकि उनका प्रभाव स्पष्ट नहीं है क्योंकि खाद्य खरीद निर्णयों के सम्बन्ध में केवल स्व-रिपोर्ट ...
- Ali Aouad Kamalini Ramdas Alp Sungu
- 03 अक्टूबर, 2024
- फ़ील्ड् नोट
बदलती जलवायु के साथ अनुकूलन के लिए स्वैच्छिक गतिशीलता- सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की राह
हालांकि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव दुनिया की पूरी आबादी को प्रभावित करते हैं, कुछ लोग अपनी भौगोलिक और सामाजिक-आर्थिक स्थिति के कारण, अन्य लोगों की तुलना में अधिक जोखिम में हैं। अन्य देशों के जलवायु परि...
- Sampurna Sarkar
- 27 सितंबर, 2024
- दृष्टिकोण
क्या सार्वजनिक सेवाओं में सब्सिडी से बाज़ार अनुशासित होते हैं या मांग का स्वरूप खराब हो जाता है?
पूर्व में हुए शोधों ने भारत के प्रमुख सुरक्षित मातृत्व कार्यक्रम की विफलता को दर्ज किया है- यह कार्यक्रम प्रसवकालीन मृत्यु दर को कम करने में विफल रहा है जबकि सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में प्रसव करा...
- Utkarsh Kumar Parijat Lal
- 24 सितंबर, 2024
- लेख
उच्च स्कोरिंग लेकिन गरीब: उच्च शिक्षा में प्रतिभा का गलत आवंटन
जैसे-जैसे कॉलेज शिक्षा में श्रम बाजार के लाभों में बढ़ोतरी हुई है, अब पहले से कहीं अधिक युवको को किसी न किसी प्रकार की उच्च शिक्षा प्राप्त हो रही है। फिर भी, गरीब सामाजिक आर्थिक स्थिति के बच्चों की कॉ...
- Andres Yi Chang Jishnu Das Abhijeet Singh
- 20 अक्टूबर, 2022
- लेख
क्या भारत में निर्यात-उन्मुख विनिर्माण मॉडल के दिन लद गए हैं?
भारत अपनी तेजी से बढ़ती कामकाजी उम्र की आबादी हेतु अच्छी तनख्वाह वाली लाखों नौकरियां सृजित करने की चुनौती का सामना कर रहा है, अतः देवाशीष मित्र विश्लेषण करते हैं कि कौन-से क्षेत्र और किस प्रकार की रणन...
- Devashish Mitra
- 10 अक्टूबर, 2022
- दृष्टिकोण
बुढ़ापे का भविष्य
भारत में बुजुर्गों के लिए सार्वजनिक सहायता के व्यापक स्तर पर विस्तार की आवश्यकता है। ड्रेज़ और डफ्लो इस लेख में तर्क देते हैं कि इसकी अच्छी शुरुआत निकट-सर्वव्यापक सामाजिक सुरक्षा पेंशन से हो सकती है। ...
- Jean Drèze Esther Duflo
- 07 अक्टूबर, 2022
- दृष्टिकोण
अच्छी नौकरियां सुनिश्चित कराने में शहरों की भूमिका
भारत में तेजी से हो रहे शहरीकरण के मद्देनजर, राणा हसन उन विभिन्न कारकों पर प्रकाश डालते हैं जो बड़े शहरों को छोटे नगरों और ग्रामीण क्षेत्रों से अलग करते हैं: रोजगार के अधिक अवसर, अधिकतम मजदूरी, बड़े व...
- Rana Hasan
- 28 सितंबर, 2022
- दृष्टिकोण
इल्लम थेडी कलवी: कोविड के बाद की शिक्षा के लिए एक बूस्टर शॉट
कोविड -19 महामारी के दौरान स्कूल बंद होने के कारण हुए शिक्षण के नुकसान की चिंताओं के बीच, तमिलनाडु के एक स्वयंसेवक-आधारित शिक्षा कार्यक्रम - इल्लम थेडी कलवी (आईटीके) – ने सीखने की खाई को पाटने में महत...
- Sarthak Agrawal
- 23 सितंबर, 2022
- फ़ील्ड् नोट
विकासशील देशों में उन्नति से जुड़ी बाधाएं
हाल के दशकों में, उन्नत विश्व प्रौद्योगिकियों को अपनाये जाने से मदद मिलने के कारण कुछ हद तक कई देशों में तेजी से विकास हुआ है। इस लेख में, एरिक वरहोजेन ने उन कारकों के बारे में चर्चा की है जो विकासशील...
- Eric Verhoogen
- 20 सितंबर, 2022
- दृष्टिकोण
वित्तीय पहुंच परिवारों में महिलाओं की निर्णय लेने की भूमिका को कैसे प्रभावित करती है
महिलाओं को वित्तीय सहायता तक पहुंच प्रदान करने वाले सरकारी कार्यक्रमों द्वारा दी जाने वाली सहायता अक्सर इतनी कम होती है कि जिससे महिलाओं की उनके परिवार में आर्थिक स्थिति में कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं ...
- Anjini Kochar C. S. Nagabhusana Ritwik Sarkar Rohan Shah Geeta Singh
- 16 सितंबर, 2022
- लेख
श्रम प्रतिबंधों में ढील का प्रभाव: राजस्थान में रोजगार से संबंधित साक्ष्य
भारत में कड़े श्रम कानून फर्मों के विकास में बाधा डाल सकते हैं और अनौपचारिक एवं अनुबंध वाले रोजगार बढ़ा सकते हैं। यह लेख, औद्योगिक विवाद अधिनियम (आईडीए) में संशोधन के बाद राजस्थान में स्थित फर्मों से ...
- Sarur Chaudhary Siddharth Sharma
- 13 सितंबर, 2022
- लेख
भारत में छात्र मूल्यांकन संबंधी खराब डेटा में सुधार लाना
भारत में छात्रों के शिक्षा के स्तर के बारे में प्रशासनिक डेटा की सटीकता पर मौजूदा प्रमाण को ध्यान में रखते हुए, सिंह और अहलूवालिया चर्चा करते हैं कि छात्र मूल्यांकन की एक विश्वसनीय प्रणाली क्यों मायने...
- Rahul Ahluwalia Prakhar Singh
- 08 सितंबर, 2022
- दृष्टिकोण
प्रशासनिक प्रसार के जनसांख्यिकीय और विकास परिणाम
भारत में अक्सर मौजूदा जिलों को विभाजित करके नए प्रशासनिक जिलों का निर्माण होता रहा है, जहां पिछले चार दशकों में जिलों की संख्या दोगुनी से अधिक हो गई है। इस लेख में, वर्ष 1991 से 2011 तक के आंकड़ों के ...
- Deepak Malghan Jothsna Rajan
- 06 सितंबर, 2022
- लेख
स्वयं-सहायता समूहों में जाति आधारित मतभेद: ग्रामीण आजीविका कार्यक्रम से साक्ष्य
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) का उद्देश्य ग्रामीण परिवारों की आय में वृद्धि करना और उनके कल्याण में सुधार लाना है। इस लेख में, भारत में नौ राज्यों के सर्वेक्षण डेटा का उपयोग करते हुए, एनआर...
- Chandan Jain Krishna Kejriwal Ritwik Sarkar Pooja Sengupta
- 01 सितंबर, 2022
- लेख
जन्म बनाम योग्यता: भारत में उद्यमशीलता पर जाति व्यवस्था का प्रभाव
भारत में जाति व्यवस्था के प्रचलन के कारण सामाजिक गतिशीलता प्रतिबंधित रही है। यह लेख इस बात को दर्शाता है कि जाति असमानताओं की वजह से फर्मों में संसाधनों का गलत तरीके से आवंटन हुआ है। इस लेख में निम्न ...
- Sampreet Goraya
- 25 अगस्त, 2022
- लेख