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हिन्दी अनुभाग

निम्न आय वाले व्यक्तियों को अनाज सब्सिडी और उनके द्वारा ‘जंक फूड’ की खरीद

सरकारें कम आय वाले समुदायों में कुपोषण को दूर करने के लिए महंगे खाद्य सब्सिडी कार्यक्रमों पर निर्भर हैं, हालाँकि उनका प्रभाव स्पष्ट नहीं है क्योंकि खाद्य खरीद निर्णयों के सम्बन्ध में केवल स्व-रिपोर्ट ...

  • फ़ील्ड् नोट

बदलती जलवायु के साथ अनुकूलन के लिए स्वैच्छिक गतिशीलता- सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की राह

हालांकि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव दुनिया की पूरी आबादी को प्रभावित करते हैं, कुछ लोग अपनी भौगोलिक और सामाजिक-आर्थिक स्थिति के कारण, अन्य लोगों की तुलना में अधिक जोखिम में हैं। अन्य देशों के जलवायु परि...

  • दृष्टिकोण

क्या सार्वजनिक सेवाओं में सब्सिडी से बाज़ार अनुशासित होते हैं या मांग का स्वरूप खराब हो जाता है?

पूर्व में हुए शोधों ने भारत के प्रमुख सुरक्षित मातृत्व कार्यक्रम की विफलता को दर्ज किया है- यह कार्यक्रम प्रसवकालीन मृत्यु दर को कम करने में विफल रहा है जबकि सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में प्रसव करा...

  • लेख
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वर्ग और जाति किस प्रकार से स्कूल के चुनाव को प्रभावित करते हैं

माता-पिता द्वारा अपने बच्चों की शिक्षा के सम्बन्ध में लिए जाने वाले निर्णयों पर परिवार की सामाजिक-आर्थिक स्थिति प्रभाव डालती है। जाति और वर्ग की परस्पर-क्रिया को ध्यान में रखते हुए, यह लेख दर्शाता है ...

  • लेख

‘स्वीट कैश’- विकासशील देशों में महिलाओं की स्वास्थ्य देखभाल सम्बन्धी ज़रूरतें

अग्रवाल एवं अन्य, स्वास्थ्य देखभाल की मांग के संदर्भ में लिंग-आधारित प्राथमिकताओं की भूमिका का पता लगाते हैं। सीपीएचएस डेटा का उपयोग करते हुए वे पाते हैं कि ईपीएफ में योगदान की अनिवार्य दरों में बदलाव...

  • लेख

बिहार में स्वयं-सहायता समूहों के माध्यम से जोखिम साझा करने की सुविधा

यह देखते हुए कि बिहार में स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) कार्यक्रम से महिलाओं की कम ब्याज़-दर वाले ऋण तक पहुँच में सुधार हुआ है, इस लेख में उपभोग वृद्धि के गाँव-स्तरीय भिन्नता में अंतर की जांच करके इस बात ...

  • लेख

क्या परिवहन में ढाँचागत विकास से ग्रामीण भूमि असमानता बढ़ती है?

परिवहन से जुड़े आधारभूत संरचना में निवेश से व्यापार लागत कम होती है और गांव शहरी बाज़ारों के साथ जुड़ जाते हैं। यह लेख दर्शाता है कि इस स्थानिक एकीकरण के कारण ग्रामीण भारत में भूमि असमानता बढ़ने का अनपेक...

  • लेख

क्षेत्रीय असमानताओं पर जलवायु परिवर्तन के आघात का प्रभाव

पिछले तीन दशकों में, तापमान में वृद्धि के कारण कृषि और औद्योगिक क्षेत्र के श्रमिकों को खपत में कमी का सामना करना पड़ा है, जबकि सेवा क्षेत्र में खपत की वृद्धि दर्ज हुई है। इस लेख में विभिन्न क्षेत्रों ...

  • लेख

क्या भारत के शहर उसके महत्वाकांक्षी शून्य उत्सर्जन (नेट ज़ीरो) लक्ष्य तक पहुंचने में बाधा बन रहे हैं?

विश्व के शहरों में प्रति व्यक्ति उत्सर्जन राष्ट्रीय औसत से काफी कम है, जबकि दिल्ली और कोलकाता जैसे बड़े भारतीय शहरों में राष्ट्रीय औसत से दोगुना तक उत्सर्जन होता है। शाह और डाउन्स इस बात का पता लगाते ...

  • दृष्टिकोण

क्या वर्ष 2023-24 का बजट लैंगिक प्राथमिकताओं को संतुलित करने में सफल रहा है?

तान्या राणा और नेहा सुज़ैन जैकब केंद्रीय बजट के लैंगिक बजट वक्तव्य या जेंडर बजट स्टेटमेंट (जीबीएस) के माध्यम से, उसके दो हिस्सों के तहत विभिन्न मंत्रालय और विभाग किन योजनाओं को प्राथमिकता देते हैं, इस ...

  • दृष्टिकोण

समय पर चेतावनी’ के रूप में स्कूल में अनुपस्थिति

जब बच्चे अक्सर स्कूल में अनुपस्थित रहते हैं तो यह इस बात का संकेत हो सकता है कि वे प्रतिकूल व्यक्तिगत परिस्थितियों से गुज़र रहे हैं। अनुराग कुंडू इस लेख में, स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति पर नज़र रखन...

  • फ़ील्ड् नोट

बिहार में शराबबंदी का जीवन साथी द्वारा हिंसा पर प्रभाव

इस लेख में वर्ष 2016 में बिहार में शराब की बिक्री और खपत पर लगाए गए पूर्ण प्रतिबंध के कारण महिलाओं के प्रति उनके जीवन साथी द्वारा होने वाली हिंसा की घटनाओं पर पड़े प्रभाव की जांच की गई है। एनएफएचएस ...

  • लेख

भारत में महिला बाल विवाह के संबंध में एक डेटा अध्ययन

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2023 के उपलक्ष्य में I4I के महीने भर चलने वाले अभियान के दौरान प्रस्तुत अपने लेख में, क्वांटम हब के शुभम मुदगिल और स्वाति राव देश भर के संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में बाल विवा...

  • दृष्टिकोण

भारत में पराली जलना कम करने के लिए स्थानांतरण भुगतान डिज़ाइन करना

पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण का स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है, ख़ासकर उत्तर भारत में। पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं को अपनाने के लिए सशर्त नकद हस्तांतरण कार्यक्रम की शुरुआत के बावजूद, किसानो...

  • लेख

भारत में महिलाओं का सशक्तिकरण : क्या औपनिवेशिक इतिहास मायने रखता है?

क्या औपनिवेशिक इतिहास भारत में महिलाओं के समकालीन आर्थिक परिणामों की दृष्टि से मायने रखता है? इसकी जांच करते हुए यह लेख इस बात की ओर इशारा करता है कि जो क्षेत्र सीधे ब्रिटिश शासन के अधीन रहा, महिला सश...

  • लेख