मानव विकास

हाई स्कूल में विज्ञान? कॉलेज और नौकरी के परिणाम

  • Blog Post Date 17 सितंबर, 2021
  • लेख
  • Print Page
Author Image

Tarun Jain

Indian Institute of Management Ahmedabad

tarunj@iima.ac.in

Author Image

Abhiroop Mukhopadhyay

Indian Statistical Institute, Delhi Centre

abhiroop@isid.ac.in

Author Image

Raghav Rakesh

Michigan State University

raghavrakesh92@gmail.com

भारत में विज्ञान के अध्ययन के साथ जुड़े कैरियर पथ, हाई स्कूलों में अन्य विषयों के अध्ययन से जुड़े कैरियर पथ के मुक़ाबले, अधिक प्रतिष्ठित और लाभप्रद  माने जाते हैं। यह लेख उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में विज्ञान के अध्ययन और श्रम-बाजार की कमाई के बीच के संबंध की जांच करता है। परिणाम यह बताते हैं कि हाई स्कूल में विज्ञान का अध्ययन, व्यवसाय या मानविकी के अध्ययन की तुलना में 18-25% अधिक आय के साथ जुड़ा हुआ है। यह उच्च आय छात्रों की अंग्रेजी में प्रवीणता के साथ और बढ़ जाती है। 

 

भारत में 11वीं कक्षा में जाने वाले छात्र हर साल अप्रैल और मई में यह तय करते हैं कि - विज्ञान, व्यवसाय (जिसे वाणिज्य भी कहा जाता है), या मानविकी (कला भी कहा जाता है) – में से वे कौन सा विषय वे अगले दो वर्षों तक अध्ययन करेंगे। चिंतन भरे इस फैसले का सीधा असर उन पाठ्यक्रमों पर पड़ता है जिनका छात्र हाई स्कूल के बाद पाठन करेंगे। यह उनकी कैरियर पथ की दिशा में प्रथम कदम होता है। लगभग 55% छात्र विज्ञान का अध्ययन करते है, जिसमें गणित, जीव विज्ञान और कंप्यूटर विज्ञान जैसे वैकल्पिक विषयों के साथ भौतिकी और रसायन विज्ञान शामिल हैं। विज्ञान का अध्ययन करने वाले इतने सारे छात्रों के कारण भारत में दुनिया के दूसरे सबसे अधिक संख्या में एस.टी.ई.एम. (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) स्नातक है| ओ.ई.सी.डी. (आर्थिक सहयोग और विकास संगठन) की रिपोर्ट के अनुसार भारत  के कुल स्नातकों में 35% एस.टी.ई.एम. के स्नातक हैं। 

भारतीय छात्र हाई स्कूल में विज्ञान क्यों पसंद करते हैं?

इसका एक कारण यह धारणा हो सकती है कि हाई स्कूल में विज्ञान की पढ़ाई के बाद अधिक नौकरियां उपलब्ध हैं, और विज्ञान से जुड़े कैरियर मार्ग अधिक प्रतिष्ठित हैं। बिहार और आंध्र प्रदेश में हाई स्कूल के छात्रों के 2017 के सर्वेक्षण के अनुसार हाई स्कूल में 63% लड़कों का मानना ​​है कि समाज में विज्ञान के छात्रों के प्रति लोग ऊँची सोच रखते हैं। इस सर्वेक्षण में विज्ञान के मूल्य पर छात्र, जो विभिन्न धाराओं का अध्ययन करते हैं, उनकी अपेक्षाओं और शैक्षिक, और नौकरी के विकल्पों पर व्यावहारिक ज्ञान के बीच अंतर भी दिखाया गया है। 

दूसरा कारण, छात्रों का ऐसा मानना है कि विज्ञान स्ट्रीम एक वैकल्पिक मूल्य प्रदान करता है जो अन्य धाराएं नहीं करती हैं। कोरा (Quora) जैसे ऑनलाइन फ़ोरम पर दी गईं प्रतिक्रियाएँ हाई स्कूल में विज्ञान लेने के बाद व्यापक 'स्कोप' पर ज़ोर देती हैं। यानी विज्ञान के छात्र कॉलेज में मानविकी या व्यावसायिक विषयों में जा सकते हैं, लेकिन इसके विपरीत मानविकी या व्यावसायिक विषयों के छात्रों का विज्ञान में जाना लगभग असंभव है। 

हाई स्कूल में विज्ञान का अध्ययन करने के आर्थिक परिणाम क्या हैं?

अंतर्राष्ट्रीय विकास केंद्र (आईजीसी) द्वारा वित्त पोषित, हालिया शोध (जैन एवं अन्य 2020), में हम राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधि भारतीय मानव विकास सर्वेक्षण (आईएचडीएस-2011 दौर) के डेटा का उपयोग करके उन छात्रों के कैरियर के परिणामों का अध्ययन करते हैं जो हाई स्कूल में विज्ञान का अध्ययन करते हैं। इस डेटासेट में हाई-स्कूल में स्ट्रीम की पसंद, श्रम एवं व्यावसायिक आय और अन्य श्रम-बाजार परिणामों और कैरियर पर महत्वपूर्ण जानकारी शामिल है। सर्वेक्षण में ग्रेड 10 में व्यक्तियों की जनसांख्यिकीय विशेषताओं और प्रदर्शन पर जानकारी शामिल है (जो हमें क्षमता के लिए नियंत्रित करने की अनुमति देता है)। हम 25-65 वर्ष की आयु के शहरी पुरुषों पर ध्यान केंद्रित करते हैं जो हमें उच्च-विद्यालय में विषय की प्रमुख पसंद और आय की जानकारी देते हैं। डेटा विश्लेषण से प्रमुख निष्कर्ष हैं: 

  • गैर-विज्ञान के छात्रों की तुलना में विज्ञान के छात्रों की कमाई 18-25% अधिक है। शीर्ष 1% वेतन कमाने वालों के लिए, हाई स्कूल में विज्ञान का अध्ययन करना 37% अधिक आय के साथ जुड़ा हुआ है। इसके अलावा, हम पाते हैं कि विज्ञान के अध्ययन से जुड़ी कमाई उन छात्रों के लिए 25% अधिक है, जिन्होंने प्रथम श्रेणी (यानी कि 60% से अधिक अंक प्राप्त किए हैं) प्राप्त की है। प्रथम श्रेणी से नीचे प्राप्त करने वाले छात्रों के लिए यह आंकड़ा 19% अधिक है। ये परिणाम बताते हैं कि शैक्षणिक रूप से 'बेहतर’ छात्र विज्ञान के ज्ञान को उच्च आय में परिवर्तित करने में अधिक सक्षम हो सकते हैं।
  • विज्ञान के छात्रों की कमाई, जो कि अंग्रेजी में निपुण होते हैं, गैर-विज्ञान के छात्रों की तुलना में 28% अधिक है, एवं अंग्रेज़ी में कुछ कम दक्षता रखने वाले विज्ञान के छात्रों की आय भी गैर-विज्ञान के छात्रों से 19% अधिक है| हालांकि, अंग्रेजी का ज्ञान ना रखने वाले विज्ञान के छात्रों को अपने गैर-विज्ञान के साथियों पर कोई लाभ नहीं होता है। ये निष्कर्ष नौकरी बाजार में विज्ञान शिक्षा में अंग्रेजी भाषा कौशल की महत्वपूर्ण भूमिका को इंगित करते हैं। इसी तरह, कंप्यूटर में कौशल एवं ज्ञान एस.टी.ई.एम. से संबंधित कई नौकरियों में फायदेमंद हो सकते हैं। गैर-विज्ञान के छात्रों की तुलना में विज्ञान के कंप्यूटर में प्रवीण छात्रों की कमाई काफी अधिक है (प्रथम श्रेणी के छात्रों के लिए 31% और अन्यथा 19%)| इसके विपरीत, कंप्यूटर कौशल न रखने वाले विज्ञान के छात्र गैर-विज्ञान के छात्रों की तुलना में केवल 7% अधिक कमाते हैं।
  • अनुसूचित जाति / जनजाति के छात्रों को हाई स्कूल में विज्ञान की पढ़ाई करने से कोई लाभ नहीं होता है। सामान्य वर्ग के विज्ञान के छात्रों की कुल कमाई 25% और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के छात्रों की कुल कमाई 20% अधिक है। इस प्रकार, सामाजिक रूप से विशेषाधिकार प्राप्त व्यक्तियों को विज्ञान शिक्षा से अधिक लाभ हो सकता है क्योंकि उनके पास नौकरी और व्यावसायिक अवसरों तक पहुंचने के साधन हो सकते हैं जो अधिक आय प्राप्ति में मददगार साबित होते हैं।
  • माध्यमिक शिक्षा के 0.22 अतिरिक्त वर्ष विज्ञान के अध्ययन के साथ जुड़े हुए है। विज्ञान के छात्रों की स्नातक की डिग्री पूरी करने की 5% और पेशेवर डिग्री पूरी करने के लिए 6% अधिक संभावना होती है। 
  • विज्ञान का अध्ययन का जुड़ाव सुरक्षित पब्लिक सेक्टर की नौकरियों से भी है| लेकिन ऐसा केवल ग्रेड 10 की परीक्षा में दूसरे या तीसरे डिवीजन प्राप्त करने वाले छात्रों के लिए हैं। हालांकि, प्राइवेट सेक्टर के कार्यकाल वाले रोजगार या व्यवसायिक रोजगार पर कोई प्रभाव पड़ता नहीं दिखता है। कई उच्च-गुणवत्ता वाली प्राइवेट सेक्टर की नौकरियां निम्न-क्षमता वाले छात्रों के लिए उपलब्ध नहीं होती हैं, जिससे वे सार्वजनिक-क्षेत्र की नौकरियों को प्राथमिकता देते हैं।

नीति निहितार्थ

वैज्ञानिक रूप से कार्यरत दिमाग, कार्यबल अर्थव्यवस्था की सबसे महत्वपूर्ण संपत्तियों में से एक है। हमें उम्मीद है कि हमारे शोध से प्राप्त निष्कर्ष छात्रों के निर्णयों के साथ-साथ शिक्षा में सुधार और विज्ञान को बढ़ावा देने के लिए नीतियों को भी सूचित करेंगे। 

लेख का अनुवाद पल्लवी वत्स ने किया था | 

क्या आपको हमारे पोस्ट पसंद आते हैं? नए पोस्टों की सूचना तुरंत प्राप्त करने के लिए हमारे टेलीग्राम (@I4I_Hindi) चैनल से जुड़ें। इसके अलावा हमारे मासिक समाचार पत्र की सदस्यता प्राप्त करने के लिए दायीं ओर दिए गए फॉर्म को भरें।

लेखक परिचय :तरुण जैन भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) अहमदाबाद में अर्थशास्त्र के एसोसिएट प्रोफेसर हैं। अभिरूप मुखोपाध्याय भारतीय सांख्यिकी संस्थान, नई दिल्ली में अर्थशास्त्र विभाग में प्रोफेसर हैं। निशीथ प्रकाश कनेक्टिकट विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के सहायक प्रोफेसर हैं और अर्थशास्त्र विभाग और मानवाधिकार संस्थान में संयुक्त पद पर हैं। राघव राकेश अर्थशास्त्र विभाग, मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी में एक पीएच.डी. छात्र हैं। 

 

No comments yet
Join the conversation
Captcha Captcha Reload

Comments will be held for moderation. Your contact information will not be made public.

संबंधित विषयवस्तु

समाचार पत्र के लिये पंजीकरण करें