श्रम-प्रधान उद्योगों में श्रमिकों की अनुपस्थिति फर्मों की उत्पादकता में हानि का कारण बनती है, जिसके चलते श्रमिकों के लिए उत्पादकता-आधारित प्रोत्साहन की संभावना कम होती है। कर्नाटक में किये गए एक अध्ययन के आधार पर, यह लेख इस बात की जाँच करता है कि अपनी लाइनों पर श्रमिकों की विशेष रूप से कम उपस्थिति का सामना करते समय फैक्ट्री लाइन-मैनेजर किस प्रकार से आपस में श्रमिकों का अदल-बदल करते हैं, और यह लेख लाइनों में अपने श्रमिकों की तैनाती में सुधार करने पर फर्मों को मिलने वाले वित्तीय लाभों का अनुमान भी लगाता है।
विकासशील देशों में सार्वजनिक क्षेत्र में अनुपस्थिति एक प्रचलित मुद्दा रहा है, जो विशेष रूप से शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के प्रावधान को प्रभावित करता है। क्रेमर एवं अन्य द्वारा किये गए एक अध्ययन (2005) से पता चला कि भारत में सरकारी स्कूलों के राष्ट्रीय स्तर के एक प्रतिनिधिक नमूने के आकस्मिक दौरे में पाया गया कि 25% शिक्षक अनुपस्थित थे और केवल आधे ही अध्यापन कर रहे थे। 19 प्रमुख भारतीय राज्यों में 1400 से अधिक सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्रों के 2003 के सर्वेक्षण के दौरान एकत्र किए गए उपस्थिति डेटा का मुरलीधरन एवं अन्य द्वारा (2011) किया गया विश्लेषण बताता है कि लगभग 40% डॉक्टर और चिकित्सा सेवा प्रदाता एक विशिष्ट दिन पर काम से अनुपस्थित रहते हैं।
कम आय वाली सेटिंग में, परिधान निर्माण जैसे श्रम-प्रधान उद्योगों में उच्च संघर्षण दर और श्रमिक अनुपस्थिति भी व्यापक है। फिर भी, इस बारे में बहुत कम जानकारी है कि प्रबंधक और फर्म अनुपस्थिति के होते हुए उत्पादन का प्रबंधन कैसे करते हैं और उनके तरीके कितनी अच्छी तरह काम करते हैं।
हमारा अध्ययन
हाल के एक अध्ययन (अध्वर्यु एवं अन्य 2020) में, हम जांच करते हैं अपनी लाइनों पर श्रमिकों की विशेष रूप से कम उपस्थिति का सामना करते समय फैक्ट्री लाइन-मैनेजर किस प्रकार से आपस में श्रमिकों का अदल-बदल करते हैं, और यह अनुमान लगाते हैं कि लाइनों में अपने श्रमिकों की तैनाती में सुधार करने पर फर्मों को वित्तीय लाभ कैसे मिल सकते हैं।
कर्नाटक में शाही एक्सपोर्ट्स द्वारा संचालित चार गारमेंट फैक्ट्रियों में लगातार छह महीनों के वर्कर-लेवल उत्पादकता डेटा का उपयोग करते हुए, हम पाते हैं कि 10-11% श्रमिक एक विशिष्ट दिन में अनुपस्थित थे, जिसमें लगभग सभी की अनुपस्थिति 'अनधिकृत' थी। इसके कारण अनपेक्षित घरेलू काम, धार्मिक या सांस्कृतिक त्योहार जिनके लिए अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित श्रमिक के मूल स्थानों की यात्रा की आवश्यकता होती है, और अधिक लाभप्रद लगने वाले अस्थायी आर्थिक अवसरों का लाभ उठाना इत्यादि हैं।
श्रमिक की अनुपस्थिति, उत्पादकता और कमाई
परिधान निर्माण करने वाली कंपनियां उत्पादन की एक असेंबली-लाइन प्रक्रिया को नियोजित करती हैं, जिसमें सामग्री को पहले काटा जाता है, एक परिधान में सिला जाता है, और फिर परिष्करण के लिए भेजा जाता है। इस प्रक्रिया का सिलाई अनुभाग 50-60 सिलाई मशीन वर्कस्टेशन वाले सिलाई लाइनों में संयोजित होता है जिसमें अधिकांश कार्य-बल होता है और इसमें सबसे अधिक समय लगने वाले और मूल्य-वर्धित कार्य शामिल होते हैं। हर लाइन में एक फिक्स्ड लाइन मैनेजर होता है जो दैनिक गतिविधियों की देखरेख करता है, और इन लाइनों में स्टाफ की तैनाती तथा दैनिक उत्पादन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए जिम्मेदार होता है। उत्पादन की अनुक्रमिक प्रकृति के कारण, जब एक लाइन श्रमिकों की अत्यधिक अनुपस्थिति का अनुभव करती है तो खंडीय देरी उसकी अड़चनें बन जाती हैं जो अंततः उस लाइन की उत्पादकता को बाधित करती हैं -जिसे परिधान उद्योग में 'दक्षता' के रूप में मापा जाता है (प्रति यूनिट समय में पूर्ण किये गए किसी विशेष प्रचालन की लक्षित मात्रा का अंश)।
हम पाते हैं कि यदि औसत अनुपस्थिति 10% तक नहीं पहुंची हो तो अनुपस्थिति के झटके उत्पादकता पर बहुत कम प्रभाव डालते हैं। इस बिंदु के बाद, अनुपस्थिति में प्रत्येक अतिरिक्त प्रतिशत अंक वृद्धि से उत्पादकता में 0.25 प्रतिशत की कमी आती है।
चूंकि अपने दैनिक उत्पादन लक्ष्य को पूरा करने वाली एक लाइन के सभी श्रमिकों को बोनस दिया जाता है, अनुपस्थिति के कारण लाइन-स्तर की कम उत्पादकता श्रमिकों के दैनिक वेतन को औसतन नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है। लाइन-स्तर अनुपस्थिति में एक मानक विचलन1 की वृद्धि (13 प्रतिशत) 8.73 रुपये के औसत दैनिक कर्मचारी बोनस में 13 रुपये की कमी के बराबर हो सकती है और यह बोनस प्राप्त करने की औसत संभावना में 28.6 प्रतिशत की गिरावट (जो किसी नियत दिन पर लगभग 25% है) ला सकती है।
संबंधपरक अनुबंधों के माध्यम से अनुपस्थिति के झटके पर काबू पाना
जब लाइन स्तर पर श्रमिकों की अत्यधिक अनुपस्थिति का सामना करना पड़ता है तो प्रबंधक अन्य लाइन प्रबंधकों से श्रमिकों को उधार लेने के लिए 'संबंधपरक अनुबंध (रिलेशनल कॉन्ट्रैक्ट्स)' नामक अनौपचारिक समझौतों का लाभ उठाते हैं, इस साझा समझ के साथ कि भविष्य में जब कभी पार्टनर लाइनों को श्रमिकों की कमी का अनुभव होगा वे उसी प्रकार से उनको श्रमिक उपलब्ध कर देंगे। तथापि, हम पाते हैं कि प्रबंधक औसतन अधिकतम पाँच व्यापारिक साझेदारियाँ बनाते हैं, बावजूद इसके कि लगभग 15 से 17 साझेदारियाँ कारखाने में अन्य प्रबंधकों के साथ बनाई जा सकती हैं। इसके अतिरिक्त, एक प्रबंधक द्वारा उधार लिए गए सभी श्रमिकों में से 40% उनके प्राथमिक विनिमय भागीदार से आते हैं। अनुपस्थिति के एक बड़े झटके की स्थिति में, जहां एक लाइन मैनेजर को अधिकतम दक्षता प्राप्त करने के लिए पांच श्रमिकों को उधार लेने की आवश्यकता होती है-जिसे कोई भी प्रबंधक उधार नहीं दे सकता है-व्यापारिक भागीदारी की छोटी संख्या श्रमिकों के उस पूल को सीमित करती है जहाँ से वे श्रमिकों को उधार ले सकते हैं। व्यापारिक साझेदारों की विशेषताओं का और अधिक विश्लेषण करने पर हम पाते हैं कि 72% श्रमिकों का आदान-प्रदान उन लाइनों के बीच किया जाता है जो अधिकतम 20 फीट की दूरी पर हैं, समान शैक्षिक स्तरों वाले प्रबंधकों के बीच 66% व्यापारिक आदान-प्रदान और एक ही लिंग के प्रबंधकों के बीच 71% व्यापारिक आदान-प्रदान किया जाता है।
उन्हीं चार फैक्ट्रियों के उत्पादन डेटा का उपयोग करके हम एक उत्पादन फलन का अनुमान लगाते हैं, जो एक लाइन में मौजूद श्रमिकों की संख्या को एक नियत दिन में इसकी दक्षता के लिए मैप करता है। प्रति-तथ्यात्मक सिमुलेशन से पता चलता है कि यदि फर्म प्रत्येक प्रबंधक के तीन और सक्रिय व्यापारिक संबंध बना सकती है तो यह बेहतर लाइन और फैक्ट्री उत्पादकता के माध्यम से प्रति वर्ष यूएस $2,47,000 तक का मुनाफा पा सकती है। हालांकि यह पूरा करना निस्संदेह मुश्किल होगा, इस तरह के सिमुलेशन इस बात पर जोर देते हैं कि प्रबंधकों के बीच संबंधपरक अनुबंध फर्म के लिए अत्यधिक मूल्यवान हैं।
श्रमिक आवंटन में सुधार हेतु मध्यस्थ समाधान
गारमेंट उद्योग में श्रमिकों की अनुपस्थिति के अत्यधिक अप्रत्याशित स्वरूप और पैमाने को देखते हुए, फर्मों के लिए दैनिक आधार पर केंद्रीय रूप से श्रमिकों के आवंटन को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करना लगभग असंभव है। लाइन प्रबंधकों के बीच उत्पादकता बढ़ाने वाले कई संभावित व्यापारिक आदान-प्रदान को अ-साधित छोड़नेवाली जनसांख्यिकीय और भौतिक दूरी की बाधाओं को दूर करने के लिए, हम अपने शोध के जरिये सुझाव देते हैं कि फर्मों को व्यापार की सुविधा के लिए 'मध्यस्थ' समाधान तलाशने और श्रमिक आवंटन में सुधार करने की आवश्यकता है।
यह समाधान एक ‘तकनीकी’ का रूप ले सकता है - उदाहरण के लिए, एक कम लागत वाला एप्लिकेशन जो दिन की शुरुआत में प्रबंधकों द्वारा रिपोर्ट की गई कर्मचारियों की कमी को अतिरिक्त श्रमिकों के माध्यम से पूरा करता है। ऐसे हस्तक्षेप जो मापनीय हैं, और प्रबंधकों के बीच संबंधपरक अनुबंध-निर्माण में अड़चन पैदा करने वाली सामाजिक बाधाओं के प्रति अज्ञेयवादी हैं, उत्पादन को श्रमिक अनुपस्थिति के झटके के सन्दर्भ में अधिक लचीला बना सकते हैं। यह उत्पादन की बेहतर निरंतरता के माध्यम से फर्मों को लाभान्वित करेगा तथा लाइन श्रमिकों और प्रबंधकों को दैनिक उत्पादन लक्ष्यों को पूरा करके अपनी कमाई को बढ़ाने के बेहतर अवसर के माध्यम से लाभान्वित करेगा।
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टिप्पणियाँ:
- मानक विचलन एक माप है जिसका उपयोग उस सेट के औसत से मूल्यों के एक सेट की भिन्नता या फैलाव की मात्रा को मापने के लिए किया जाता है।
लेखक परिचय: अच्युत अध्वर्यु युनिवर्सिटी ओफ मिशिगन में व्यावसायिक अर्थशास्त्र और सार्वजनिक नीति के सहायक प्रोफेसर हैं। जीन-फ्रांस्वा बोस्टन कॉलेज में अर्थशास्त्र में एक पीएच.डी. छात्र है। शालिन गोर गुड बिजनेस लैब (GBL) में सलाहकार हैं | अनंत निषाधम युनिवर्सिटी ओफ मिशिगन में सहायक प्रोफेसर हैं। जॉर्ज तामायो हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में स्ट्रैटेजी यूनिट में बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन के सहायक प्रोफेसर हैं।
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