राजनीति में महिलाओं की हिस्सेदारी अधिक होना वर्तमान साहित्य में कम भ्रष्टाचार का संकेत माना गया है | ईमानदारी को एक अंतर्निहित या स्थिर चरित्र विशेषता के रूप में देखा जाता है। हालाँकि, पश्चिम बंगाल में निर्वाचित 400 ग्राम पंचायत सदस्यों से एकत्रित की गई जानकारी का उपयोग करते हुए किये गए इस अध्ययन से पता चलता है कि किसी राजनीतिक पद धारण करने की स्थिति में यह बदल जाता है – राजनीति में अनुभवहीन महिला राजनेताओं के पुरुषों की तुलना में बेईमान होने की संभावना कम होती है, लेकिन अनुभवी राजनेताओं के संदर्भ में यह 'लैंगिक अंतर' समाप्त हो जाता है। इस अध्ययन में इसका कारण अनुभव के साथ मजबूत राजनीतिक नेटवर्क तथा कम जोखिम की संभावना माना गया है।
सार्वजनिक कार्यालय में महिलाओं के प्रतिनिधित्व में वृद्धि को व्यापक रूप से भ्रष्टाचार को कम करने के एक तरीके के रूप में बढ़ावा दिया गया है। उपलब्ध शोध यह दर्शाता है कि महिलाएं अधिक भरोसेमंद हैं (राउ 2012, श्नाइडर और बॉश 2014, बार्न्स और ब्यूलियू 2019), जोखिम लेने के प्रति अधिक प्रतिकूल (जियानाकोप्लोस और बर्नसेक 1998, क्रोसन और ग्नीजी 2009, फ्लेश्चनेर एवं अन्य 2010), अधिक ईमानदार ( फ्रिसन और गंगाधरन 2012) और उनमें कदाचार में संलग्न होने के लिए आवश्यक राजनीतिक नेटवर्क की कमी है (बजर्नेगार्ड 2013, ओ'ब्रायन 2015, बाउर और चरन 2021)। वास्तव में, विकसित और विकासशील देशों की एक श्रृंखला में उपलब्ध साक्ष्य यह इंगित करते हैं कि संसद या राज्य की नौकरशाही में महिलाओं की उच्च भागीदारी वहां भ्रष्टाचार में कमी दर्शाती है, जिसमें महिलाओं को "राजनीतिक सफाईकर्मी" कहा जाता है (गोएट्ज़ 2007)।
तथापि, इनमें से अधिकांश शोध-कार्यों में अधिक महिला सामाजिकता या जोखिम से बचने को स्थिर और निश्चित माना गया है। एक हाल का साहित्य दर्शाता है कि कार्यालय में बीताया गया समय और अनुभव राजनेताओं की सोच - जिसमें भ्रष्ट व्यवहार या इसकी कमी के प्रति उनकी प्रवृत्ति शामिल है, में बदलाव लाता है (एनमार्क एवं अन्य 2016, अफरीदी एवं अन्य 2017, झा और सारंगी 2019)। यह भ्रष्टाचार में लैंगिक अंतर को स्थिर के बजाय गतिशील मानने की आवश्यकता की ओर इशारा करता है। उदाहरण के लिए, यह तर्क दिया गया है कि राजनीतिक पद धारण करने के दौरान महिलाएं कम भ्रष्ट और कम बेईमान होती हैं क्योंकि वे भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाले नेटवर्क से कम जुड़ी होती हैं। समय के साथ यह शुरुआती लैंगिक अंतर कम होता जाता है क्योंकि महिलाएं ऐसे नेटवर्क तक पहुंच प्राप्त करती हैं।
हाल के एक अध्ययन (चौधरी एवं अन्य 2022) में, हम इस विषय की दिशा में आगे कार्य करते हैं। हमारा मानना है कि व्यापक भ्रष्टाचार के साथ लैंगिक-असमानता के संदर्भों में, पुरुषों की तुलना में अनुभवहीन महिलाओं में भ्रष्ट व्यवहार के प्रति कम प्रवृत्ति होनी चाहिए, लेकिन यह अंतर समय के साथ कम हो जाता है क्योंकि महिलाएं स्थानीय राजनीतिक संस्कृति की आदी हो जाती हैं। हम उन संभावित तंत्रों पर भी विचार करते हैं जो राजनीतिक पद धारण करने के कारण बेईमानी में इस बदलते लैंगिक अंतर को दर्शाते हैं।
डेटा और तरीके
सबसे पहले देखा जाए तो, राजनेताओं की बेईमानी और उनके भ्रष्ट व्यवहार का अनुभवजन्य अध्ययन करना चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि चुने हुए राजनेता एक अत्यंत व्यस्त और कठिनतम चयन-प्रक्रिया का प्रतिनिधित्व करते हैं। परिणामस्वरूप, भ्रष्टाचार के बारे में अधिकांश शोध-कार्य विश्वविद्यालय के छात्रों या आम नागरिकों के साथ किए गए सर्वेक्षण प्रतिक्रियाओं या व्यवहार-जन्य प्रयोगों पर निर्भर करता है। इसमें कमियां यह हैं कि ये सर्वेक्षण प्रतिक्रियाएं अक्सर सामाजिक वांछनीयता और स्व-रिपोर्टिंग पूर्वाग्रहों से ग्रस्त होती हैं, जबकि छात्र प्रतिभागियों के साथ व्यवहार-जन्य प्रयोग बाहरी वैधता संबंधी चिंताओं को बढ़ाते हैं।
जानकारी के इस अंतर को दूर करने के लिए, हमने पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के 400 निर्वाचित ग्राम पंचायत राजनेताओं को शामिल करते हुए एक व्यापक क्षेत्र-अध्ययन किया। हमने व्यक्तिगत विशेषताओं के साथ-साथ ही आत्मसम्मान और आत्म-प्रभावकारिता, राजनीति और राजनीतिक संस्थानों के प्रति धारणा और रवैया के बारे में डेटा एकत्र किया। इन राजनेताओं ने परोपकारिता, निष्पक्षता, विश्वास और भरोसा, सहयोग, जोखिम के प्रति दृष्टिकोण और बेईमानी संबंधी उनकी वरीयताओं को समझने हेतु डिज़ाइन किए गए अच्छी तरह से मान्य और प्रोत्साहन प्रयोगात्मक कार्यों के एक सेट में भी भाग लिया।
पश्चिम बंगाल में जुलाई 2018 में पंचायत चुनाव हुए थे और अधिकांश पंचायत बोर्डों का गठन उस वर्ष के अंत-यानी अक्टूबर तक नहीं हुआ था। हमने चुनाव परिणाम घोषित होने के तुरंत बाद सितंबर और अक्टूबर की शुरुआत में अपने सर्वेक्षण किए। इस प्रकार, हमारे नमूने में शामिल नवनिर्वाचित राजनेताओं ने हमारे सर्वेक्षण और प्रायोगिक कार्यों में भाग लेने से पहले कोई राजनीतिक पद धारण नहीं किया था।
हम बिना पूर्व-राजनीतिक अनुभव वाले ('अनुभवहीन') नए राजनेताओं की तुलना निवर्तमान राजनेताओं ('अनुभवी') के साथ करते हैं। अनुभवहीन राजनेता पहली बार वर्ष 2018 में चुने गए थे, जबकि अनुभवी राजनेता वर्ष 2013 में पहली बार चुने गए थे और उन्होंने बिना किसी पूर्व अनुभव के राजनीतिक पद धारण किया था। इससे हम अनुभवहीन और अनुभवी पुरुष और समान महिला राजनेता समूहों के बीच भ्रष्ट व्यवहार की प्रवृत्ति की जांच कर पाते हैं। इन दो समूहों के बीच महत्वपूर्ण अंतर उनके द्वारा राजनीतिक पद धारण किया गया समय है, जिसके चलते समय के साथ व्यवहार में बदलाव के अन्य संभावित स्पष्टीकरण ख़ारिज हो जाते हैं।
परिणाम
बेईमानी को मापने के लिए, राजनेताओं ने पासे उछालने के एक टास्क में भाग लिया (फिशबैकर और फोल्मी-ह्युसी 2013): यह बेईमानी का एक सुस्थापित व्यवहारिक उपाय है जो अपने व्यक्तिगत लाभ हेतु धोखा देने की इच्छा को सामने लाता है - यहाँ प्रतिभागी अकेले में निष्पक्ष होकर 30 बार पासा फेंकते हैं, और उनके द्वारा बताए गए छक्कों की संख्या के अनुसार उन्हें भुगतान प्राप्त हुआ। पर्याप्त साक्ष्य दर्शाते हैं कि इस खेल में व्यक्त व्यवहार लैब के बाहर भ्रष्ट व्यवहार में संलग्न होने की प्रवृत्ति (बनर्जी एवं अन्य 2015, क्रोल और रुस्तगी 2016, दाई एवं अन्य 2017, हन्ना और वांग 2017) और भ्रष्टाचार के देश-स्तर के उपाय- दोनों के बीच मजबूत सकारात्मक सहसंबंध प्रदर्शित करता है (गैचर और शल्ज़ 2016, ओल्सेन एवं अन्य 2019)।
चित्र 1. अनुभवहीन (बायाँ पैनल) और अनुभवी राजनेताओं (दायाँ पैनल) द्वारा एक निष्पक्ष पासे के 30 टॉस में प्राप्त स्व-रिपोर्ट किए गए छक्कों का वितरण
चूंकि पासे से प्राप्त छक्कों की वास्तविक संख्या की कोई निगरानी नहीं हो सकती, इसलिए यह निश्चित रूप से जानना असंभव है कि किसी व्यक्ति ने सच-सच रिपोर्ट की है या नहीं। हालांकि, हम (गैर) ईमानदारी के एक समूह-स्तर के उपाय के रूप में एक निष्पक्ष पासे के 30 थ्रो में छक्कों की अपेक्षित संख्या से छक्कों की संख्या के विचलन का उपयोग कर सकते हैं। चित्र 1 एक निष्पक्ष पासे के 30 उछालों में प्राप्त छक्कों की स्वयं-रिपोर्ट की गई संख्या का वितरण दिखाता है।
अनुभवहीन राजनेताओं के बीच, महिलाओं ने पासे उछालने के टास्क में पुरुषों की तुलना में काफी कम छक्के प्राप्त करने संबंधी रिपोर्ट किया; यह लैंगिक अंतर अनुभवी राजनेताओं के संदर्भ में गायब हो जाता है। हम अनुभवहीन और अनुभवी महिला राजनेताओं के बीच एक बड़ा, और सांख्यिकीय रूप से महत्वपूर्ण अंतर पाते हैं, लेकिन अनुभवहीन और अनुभवी पुरुष राजनेताओं के बीच नहीं। यह बेईमानी के संदर्भ में बदलते लैंगिक अंतर का सबूत है।
फिर हम चार संभावित तंत्रों का परीक्षण करते हैं जो बेईमानी के संदर्भ में इस बदलते लैंगिक अंतर की व्याख्या कर सकते हैं: सामाजिकता में अंतर, जोखिम से बचना, राजनीतिक नेटवर्क तक पहुंच और समय-सीमा। हमें कोई संकेत नहीं मिलता है कि शुरुआती या बदलते लैंगिक अंतर महिला राजनेताओं के अधिक या कम सामाजिक होने का परिणाम है, या यह कि पुरुषों और महिलाओं के बीच मतभेद समय-सीमा से प्रेरित होते हैं। हालांकि, हम जोखिम से बचने के तंत्र और नेटवर्क तंत्र - दोनों के समर्थन में साक्ष्य पाते हैं: हम पाते हैं कि अनुभवी महिला राजनेताओं की ओर से अधिक बेईमानी, बिना राजनीतिक नेटवर्क के राजनीति में प्रवेश करने वाले राजनेताओं द्वारा शुरुआती लैंगिक अंतर के साथ मुख्य रूप से जोखिम से बचने की कम प्रवृत्ति और समय के साथ उनके राजनीतिक नेटवर्क के मजबूत होने से प्रेरित होती है। पुरुषों के प्रभाव की अनुपस्थिति को इस तथ्य से समझाया जा सकता है कि महिलाओं के विपरीत, पुरुष पहले से ही गांव की राजनीति में अच्छी तरह से जुड़े होते हैं।
निष्कर्ष
सभी समाजों में पुरुषों और महिलाओं के बीच अंतर होते हैं - लेकिन यदि ये अंतर उनमें अंतर्निहित लक्षणों के बजाय अनुभवों और समाजीकरण के कारण हैं, तो उन्हें संदर्भ-विशिष्ट और परिवर्तनशील दोनों के रूप में पहचाना जाना चाहिए। महिलाएं राजनीति में जब प्रवेश करती हैं तब भ्रष्टाचार का खतरा कम हो सकता है, लेकिन राजनीतिक खेल के संपर्क में आने से - विशेष रूप से बेईमानी और भ्रष्ट व्यवहार के सामान्यीकरण के कारण उनके बदल जाने की संभावना होती है। पश्चिम बंगाल में किया गया हमारा अध्ययन ठीक यही इंगित करता है: कि राजनीति में प्रवेश करने वाली महिलाओं के पुरुषों की तुलना में बेईमान व्यवहार में शामिल होने की संभावना कम होती है, लेकिन उनके पद धारण करने के साथ यह लैंगिक अंतर कम हो जाता है।
हमारे निष्कर्ष दर्शाते हैं कि जोखिम से बचने की प्रवृत्ति का कम हो जाना और समय के साथ उनके राजनीतिक नेटवर्क का मजबूत हो जाना इन परिवर्तनों का कारण है। इस अधिक लैंगिक अंतर के साथ कि पद धारण करने का पहला कार्यकाल कैसे अनुभव किया जाता है- उदाहरण के लिए, यदि महिलाओं को अधिक शत्रुता का सामना करना पड़ता है - महिलाओं और पुरुषों के प्रक्षेप-वक्र और समय-सीमा भी भिन्न हो सकते हैं। यह स्थापित करने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है कि क्या वास्तव में महिलाओं और पुरुषों का एक ही राजनीतिक वातावरण में सामाजिककरण किया जाता है। भले ही, वास्तविक जीवन के राजनेताओं का हमारा अध्ययन इस विचार को बहुत कम समर्थन देता है कि राजनीतिक संस्थानों में महिलाओं के प्रवेश से भ्रष्टाचार या अन्य दुर्भावनाओं को दूर करने में, शायद, संक्षेप में मदद मिलेगी।
अतः, महिलाओं का राजनीति में प्रवेश भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने में मदद करेगा, साधनवादी दृष्टिकोण की इस मान्यता से संयमित होने की आवश्यकता है कि ऐसा कोई भी प्रभाव अल्पकालिक हो सकता है और स्थायी परिवर्तन हेतु स्थानीय राजनीतिक संस्कृति में बदलाव के साथ-साथ उसमें महिलाओं के प्रतिनिधित्व में वृद्धि की आवश्यकता होगी।
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लेखक परिचय: अननीश चौधरी ऑकलैंड विश्वविद्यालय में प्रायोगिक अर्थशास्त्र के प्रोफेसर हैं | वेगार्ड इवरसेन डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर हैं और ग्रीनविच विश्वविद्यालय के प्राकृतिक संसाधन संस्थान में आजीविका और संस्थान विभाग के प्रमुख हैं। फ्रांसेस्का आर जेन्सेनियस ओस्लो विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान की प्रोफेसर हैं और नॉर्वेजियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स (एनयूपीआई) में शोध प्रोफेसर हैं। पुष्कर मैत्रा मोनैश यूनिवर्सि
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