ऐसी नीतियाँ बनाने के लिए जो श्रम-बाज़ार में प्रवेश करने वाले युवाओं को अच्छी नौकरियों की ओर ले जाएं, नौकरी खोज प्रक्रियाओं को समझना महत्वपूर्ण है। यह समझना भी महत्वपूर्ण है कि इनका लाभकारी रोज़गार खोजने की क्षमता पर क्या प्रभाव पड़ता है। युगांडा में एक प्रयोग के आधार पर, जिसमें दो हस्तक्षेप किए गए- व्यावसायिक प्रशिक्षण और फर्मों के साथ श्रमिकों का मिलान, यह लेख दिखाता है कि जहाँ प्रशिक्षण रोज़गार की सम्भावनाओं के प्रति आशावाद को बढ़ाता है, वहीं मिलान लम्बे समय में हतोत्साहित करता है और श्रम बाज़ार के खराब परिणामों का कारण बनता है।
विकासशील दुनिया में, प्रजनन की उच्च दर और सीमित रोज़गार का सृजन युवा श्रम बाज़ार में प्रवेश करने वालों के लिए गुणवत्तापूर्ण रोज़गार तक पहुँच को और अधिक चुनौतीपूर्ण बना देते हैं (बैंडिएरा एवं अन्य 2022, आईएलओ 2023)। इस परिदृश्य में नीति-निर्माताओं और शोधकर्ताओं के सामने मुख्य प्रश्न यह है कि ऐसी नीतियाँ कैसे डिज़ाइन की जाएं जो श्रमिकों को अच्छी, औपचारिक नौकरियों दिलाकर दीर्घकालिक सफलता के लिए एक आधार बन सकें। इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए यह समझना सर्वोपरि है कि युवा नौकरियों की तलाश कैसे करते हैं और लाभकारी रोज़गार खोजने की उनकी क्षमता किन-किन बातों से प्रभावित होती हैं।
हमारे अध्ययन (बैंडिएरा एवं अन्य 2023) में युगांडा में युवा श्रम बाज़ार में प्रवेश करने वालों पर नज़र रखने और कौशल, अपेक्षाओं, खोज व्यवहार व दीर्घकालिक श्रम बाज़ार परिणामों के बीच के सम्बन्ध की जाँच करने के लिए छह वर्षों से किए गए एक क्षेत्रीय प्रयोग के माध्यम से इस प्रश्न का समाधान प्रस्तुत किया गया है। इसमें दो मानक श्रम बाज़ार हस्तक्षेपों- व्यावसायिक प्रशिक्षण तथा श्रमिकों और फर्मों के बीच मैचिंग के लिए श्रमिकों के जोखिम में प्रयोगात्मक भिन्नता का उपयोग करके इस सम्बन्ध की खोज की गई है (कार्ड एवं अन्य 2017, मैकेंज़ी 2017, केरान्ज़ा और मैकेंज़ी 2023)। इस लेख में इन प्रभावों की मध्यस्थता में अपेक्षाओं की भूमिका पर ध्यान देने के साथ ही, नौकरी की खोज और श्रम बाज़ार परिणामों पर इन हस्तक्षेपों के प्रभाव पर प्रकाश डालते हुए, प्रयोग के परिणामों का सारांश प्रस्तुत किया गया है।
हस्तक्षेप
वर्ष 2012 में एक ग़ैर-सरकारी संगठन, बीआरएसी, के साथ एक साझेदारी में, हमने अध्ययन में भाग लेने के लिए पूरे युगांडा से 1,400 श्रम बाज़ार में प्रवेश करने वालों युआओं की भर्ती की। हमने आर्थिक रूप से वंचित युवाओं को लक्षित किया, जो बेसलाइन पर या तो बेरोज़गार थे (60%) अथवा असुरक्षित, अनौपचारिक नौकरियों (30%) पर निर्भर थे। इन श्रमिकों ने वेल्डिंग, मोटर मैकेनिक, इलेक्ट्रिकल वायरिंग, निर्माण, प्लम्बिंग, हेयरड्रेसिंग, सिलाई या खानपान में व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए आवेदन किया था। ये क्षेत्र उच्च वेतन वाली कम्पनियों में नियमित रोज़गार प्रदान करने वाली 'अच्छी नौकरियों' से जुड़े हैं।
इन श्रमिकों को यादृच्छिक रूप से तीन ‘उपचार’ समूहों में शामिल किया गया- (i) व्यावसायिक प्रशिक्षण (ii) लाइट टच मैचिंग हस्तक्षेप के साथ व्यावसायिक प्रशिक्षण, जिसमें श्रमिकों का विवरण फर्मों को पहुँचाया जाता है और (iii) केवल मैचिंग। जैसा कि आकृति-1 में दिखाया गया है, यह दो-चरणीय प्रक्रिया के माध्यम से किया गया था। व्यावसायिक प्रशिक्षण का प्रस्ताव प्राप्त करने के लिए व्यक्तियों को पहले यादृच्छिक यानी रैंडम रूप से चुना गया था। इसमें प्रतिष्ठित व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों द्वारा दिया जाने वाला छह महीने का सेक्टर-विशिष्ट और कक्षा-आधारित प्रशिक्षण कार्यक्रम शामिल था। पहले के अपने एक अध्ययन में हमने दिखाया है कि इस प्रकार का प्रशिक्षण श्रमिकों को मूल्यवान कौशल प्रदान करने में अत्यधिक प्रभावी है (अल्फोंसी एवं अन्य 2020)। दूसरे चरण में, हमने श्रमिकों और फर्मों के बीच लाइट टच मैचिंग की पेशकश की। श्रमिक-फर्म मैच उसी क्षेत्र की फर्मों तक सीमित थे जिसमें श्रमिक को प्रशिक्षित किया गया था, या वह उसी क्षेत्र में प्रशिक्षित होना चाहता था। छोटे और मध्यम उद्यमों की गणना के माध्यम से योग्य फर्मों की पहचान की गई। फर्मों को अधिकतम दो श्रमिकों के सीवी प्रस्तुत किए गए थे, जिनमें या तो दोनों व्यावसायिक रूप से प्रशिक्षित थे (आकृति-1 में टी 2), या दोनों अकुशल थे, लेकिन काम करने के इच्छुक थे (आकृति-1 में टी 3)। वे साक्षात्कार के लिए दोनो में से किसी एक को, दोनों को या दोनो में से किसी को भी न बुलाने का निर्णय ले सकते थे।
हमने बेसलाइन के बाद 24, 36, 48 और 68 महीनों में किए गए चार अनुवर्ती सर्वेक्षणों के माध्यम से श्रमिकों पर नज़र रखी (हस्तक्षेप के समापन के बाद 12, 24, 36 और 56 महीनों के अनुरूप)। इससे हम विशिष्ट रूप से, छह वर्षों में श्रम-बाज़ार में प्रवेश करने वालों के एक समूह को ट्रैक करने, हस्तक्षेपों से प्रेरित अपेक्षाओं और नौकरी खोज व्यवहार में अल्पकालिक परिवर्तनों को श्रम बाज़ार के परिणामों पर दीर्घकालिक प्रभावों से जोड़ पाए।
आकृति-1. प्रायोगिक डिज़ाइन
नोट : कोष्ठक में दी गई संख्या मूल रूप से प्रत्येक ‘उपचार’ के लिए आवंटित पात्र आवेदकों की संख्या और प्रत्येक ‘उपचार’ के लिए आवंटित फर्मों की संख्या को दर्शाती है।
अपेक्षाओं का बढ़ना और कॉल बैक पर प्रतिक्रिया
समय के साथ ‘नियंत्रण’ समूह के डेटा का उपयोग करते हुए हम पाते हैं कि यद्यपि श्रमिकों को अध्ययन क्षेत्रों में आय वितरण पर अपेक्षाकृत सटीक विश्वास है, वे इन क्षेत्रों में नौकरी मिलने की सम्भावना के बारे में आशावादी हैं। अध्ययन अवधि के दौरान वास्तविक नौकरी खोजने की दरों की तुलना में, रोज़गार मिलने के प्रति उनकी अपेक्षाकृत सम्भावना बहुत अधिक है, हालांकि श्रमिक धीरे-धीरे अधिक यथार्थवादी होते जाते हैं (आकृति-2)।
आकृति-2. नियंत्रण समूह के बीच प्रस्ताव प्राप्त करने की अपेक्षित और वास्तविक सम्भावना
मैचिंग हस्तक्षेप में शामिल श्रमिकों के सन्दर्भ में मुख्य परिणाम यह है कि क्या कम्पनियाँ उन्हें साक्षात्कार के लिए वापस बुलाती हैं। बेसलाइन से लेकर मैच ऑफर की घोषणा की पूर्व संध्या तक उनके बढ़ते विश्वास पर नज़र रखते हुए, हम पाते हैं कि प्रशिक्षु अपनी नौकरी की सम्भावनाओं के बारे में और अधिक आशावादी हो जाते हैं, जबकि प्रशिक्षण से बाहर हुए लोग अपने विश्वास (आशाओं को) को धीरे-धीरे कम करते जाते हैं। इसके पश्चात, व्यावसायिक प्रशिक्षण की पेशकश प्राप्त करने वाले आशावादी युवाओं के इन समूहों पर मैच ऑफर हस्तक्षेप लागू किया जाता है और तेज़ी से यथार्थवादी युवाओं को व्यावसायिक प्रशिक्षण से बाहर कर दिया जाता है।
वास्तविक कॉल बैक की दर प्रशिक्षुओं की अपेक्षाओं से बहुत कम है- केवल 16% को कॉल बैक प्राप्त होता है (अपेक्षित 30% कॉल बैक दर की तुलना में)। प्रशिक्षण से यादृच्छिक रूप से बाहर हुए लोगों में, कॉल बैक की दरें पूर्व अपेक्षाओं (क्रमशः 18% और 20%) के अनुरूप हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि कॉल बैक विशिष्ट रूप से रिक्तियों और अन्य फर्म विशेषताओं द्वारा निर्धारित होते हैं, कर्मचारी की विशेषताओं पर निर्भर नहीं होते हैं। हालांकि श्रमिकों को कॉल बैक की कमी के कारण नहीं बताए गए थे और भले ही व्यावसायिक प्रशिक्षुओं का मैचिंग केवल कुछ फर्मों से किया गया था, मैचिंग हस्तक्षेप को काम खोजने का एक अत्यधिक प्रमुख अवसर माना गया था क्योंकि इसे एक प्रतिष्ठित एनजीओ द्वारा कार्यान्वित किया गया था। इसलिए, व्यावसायिक प्रशिक्षुओं में उनकी अपेक्षा से कम कॉल बैक की दर बुरी खबर का कारण बन सकती है और नौकरी की सम्भावनाओं के बारे में अपेक्षाओं को संशोधित करने का कारण बन सकती है। प्रशिक्षण से बाहर किए गए श्रमिकों के लिए कॉल बैक की दर पहले से ही उनकी मान्यताओं के अनुरूप है।
श्रमिकों के खोज व्यवहार और दीर्घकालिक श्रम बाज़ार परिणामों पर प्रभाव
परिणामों के हमारे पहले सेट में यह दर्ज किया गया कि ये हस्तक्षेप एक वर्ष के बाद श्रमिकों की अपेक्षाओं और नौकरी खोज व्यवहार को किस प्रकार से प्रभावित करते हैं।
नियंत्रण समूह के श्रमिकों की तुलना में, व्यावसायिक प्रशिक्षु अध्ययन क्षेत्रों में से किसी एक में नौकरी प्राप्त करने की सम्भावना के साथ-साथ, अपेक्षित कमाई पर अपनी अपेक्षाओं को संशोधित करते हैं और इस प्रकार से वे तेज़ी से आशावादी बनते जाते हैं। परिणामस्वरूप, वे नियंत्रण समूह की तुलना में अधिक गहनता से नौकरी की खोज करते हैं और अपनी खोज को उच्च गुणवत्ता वाली फर्मों में केन्द्रित करते हैं।
केवल प्रशिक्षण की पेशकश प्राप्त करने वालों की तुलना में, व्यावसायिक प्रशिक्षुओं ने भी नौकरी की पेशकश प्राप्त करने की सम्भावना और अच्छे क्षेत्रों में कमाई के वितरण पर कम उम्मीदें रखीं। यह अपेक्षा से कम कॉल बैक की दर के कारण हतोत्साहित करने वाले प्रभावों के अनुरूप है। इस तरह की निराशा उनके खोज व्यवहार में परिलक्षित होती है : केवल व्यावसायिक प्रशिक्षण की पेशकश प्राप्त करने वालों के सापेक्ष, अतिरिक्त रूप से मैचिंग खोज की पेशकश कम गहनता से और कम गुणवत्ता वाली फर्मों की तुलना में होती है।
केवल मैचिंग की पेशकश प्राप्त श्रमिकों ने, नियंत्रण समूह के सापेक्ष, अधिकांश मार्जिन पर अपनी अपेक्षाओं या खोज व्यवहार को समायोजित नहीं किया, क्योंकि उनकी कॉल बैक की दर उनकी पूर्व अपेक्षाओं के अनुरूप है। हालांकि, उनके द्वारा स्व-रोज़गार गतिविधियों के वित्तपोषण के लिए उधार लेना शुरू करने की सम्भावना काफी अधिक है।
परिणामों का हमारा दूसरा बैच श्रम बाज़ार के परिणामों में दीर्घकालिक परिवर्तनों को देखता है। 24, 36 और 56 महीनों के बाद अनुवर्ती सर्वेक्षणों के माध्यम से, हम जाँच करते हैं कि क्या हस्तक्षेप से दो से छह साल बाद दीर्घकालिक श्रम बाज़ार के परिणामों में अंतर आता है। हमने पाया है कि ‘नियंत्रण’ समूह के सापेक्ष, जिन्हें व्यावसायिक प्रशिक्षण (मैचिंग के साथ या बिना) की पेशकश की जाती है, उनके नियोजित होने, नियमित काम में स्थानांतरित होने, अच्छे क्षेत्रों में नियोजित होने और बेहतर नौकरियों तक पहुँचने की सम्भावना अधिक होती है। हालांकि, मैचिंग के अतिरिक्त प्रस्ताव के साथ और उसके बिना, व्यावसायिक प्रशिक्षुओं की तुलना करने पर हम पाते हैं कि मैच ऑफर वाले लोग छह साल बाद तक श्रम बाज़ार के परिणामों पर काफी खराब प्रदर्शन करते हैं : उनके नियमित नौकरियों में काम की सम्भावना कम होती है और अध्ययन के आठ में से किसी एक अच्छे क्षेत्र में कम समय काम करते हैं। केवल व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करने वालों की तुलना में, वे भी निम्न गुणवत्ता वाली फर्मों और निम्न गुणवत्ता वाली नौकरियों की ओर रुख करते हैं और उनकी कमाई भी कम होती है।
इन दीर्घकालिक अंतरों को मापने के लिए, हम रोज़गार और कमाई दोनों के विभिन्न उपायों पर जानकारी को मिलाकर समग्र श्रम बाज़ार की सफलता का एक सूचकांक बनाते हैं। नियंत्रण समूह में शामिल लोगों की तुलना में व्यावसायिक प्रशिक्षण की पेशकश प्राप्त करने वालों के सन्दर्भ में यह सूचकांक काफी बढ़ जाता है (आकृति-3)। जिन लोगों को अतिरिक्त मैचिंग की पेशकश की जाती है, उनके लिए सूचकांक आधे से भी कम बढ़ता है। क्योंकि व्यावसायिक प्रशिक्षुओं को उम्मीद से कम मैच की पेशकश के कारण युवा हतोत्साहित हो जाते हैं, वे अकेले व्यावसायिक प्रशिक्षण के माध्यम से जो हासिल किया जाता है उसका आधा हिस्सा बर्बाद कर देते हैं।
केवल मैचिंग की पेशकश प्राप्त करने वाले श्रमिकों के स्व-रोज़गार में प्रवेश करने की काफी अधिक सम्भावना है। हालांकि, इस समग्र श्रम बाज़ार सूचकांक पर, हम पहले के मेटा-विश्लेषणों (कार्ड एवं अन्य 2017, कैरान्ज़ा और मैकेंज़ी 2023) के अनुरूप पाते हैं, कि केवल मैचिंग से नियंत्रण के सापेक्ष बेहतर परिणाम नहीं मिलते हैं।
आकृति-3. खोज की तीव्रता और दिशा तथा श्रम बाज़ार परिणामों पर हस्तक्षेप का प्रभाव
नीति का क्रियान्वयन
इस अध्ययन के नतीजे श्रमिकों की नौकरी की खोज और दीर्घकालिक श्रम बाज़ार परिणामों को निर्धारित करने में उनकी अपेक्षाओं की मूलभूत भूमिका पर प्रकाश डालते हैं। वे दर्शाते हैं कि कैसे नौकरी चाहने वाले युवा नौकरी की खोज के माध्यम से सहायता के लिए प्रदान की गई जानकारी का गलत अर्थ निकाल सकते हैं, जिससे लगातार 'खराब' प्रभाव पैदा होते हैं जो उनके विश्वास में बदलाव से उत्पन्न होते हैं और बाद में नौकरी सम्बन्धी खोज व्यवहार को प्रभावित करते हैं। ये परिणाम इस बात पर ज़ोर देते हैं कि श्रम बाज़ार या नौकरी खोज के पहलुओं के बारे में श्रमिकों को (उपयोगी) जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से किए जाने वाले हस्तक्षेपों पर उनके निर्धारण और उनके समय, दोनों के सन्दर्भ में सावधानीपूर्वक विचार करने की आवश्यकता है। इस प्रकार की श्रम बाज़ार नीतियों को कैसे डिज़ाइन किया जाए, इस अध्ययन से तीन सबक सीखे जा सकते हैं :
पहला यह कि, नौकरी प्लेसमेंट हस्तक्षेपों का निर्धारण इस बात का एक प्रमुख निर्धारक हो सकता है कि क्या कर्मचारी उन्हें प्रदान की गई जानकारी को गलत बताते हैं। उदाहरण के लिए, समग्र जानकारी प्रदान करने वाले नौकरी मेलों या नौकरी सहायता हस्तक्षेपों में (अबेबे एवं अन्य 2020, केली एवं अन्य 2022, चक्रवर्ती एवं अन्य 2023), श्रमिकों को दिए गए संकेत, किसी विशेष नौकरी की सम्भावनाओं की तुलना में, समग्र रूप से बाज़ार के बारे में अपेक्षाकृत अधिक जानकारीपूर्ण होते हैं। इस तरह के हस्तक्षेप श्रमिकों को हतोत्साहित किए बिना उनके अति आशावाद को कम कर सकते हैं। दूसरे चरम पर नौकरी सहायता हस्तक्षेप हैं जिनमें विशिष्ट व्यक्ति (ऑल्टमैन एवं अन्य 2018, बेलोट एवं अन्य 2019) के लिए फीडबैक तैयार किए जाते हैं, जिससे श्रमिकों के स्वयं के श्रम बाज़ार की सम्भावनाओं के बारे में जानकारीपूर्ण होने के रूप में संकेतों को गलत बताने की अधिक गुंजाइश पैदा होती है।
दूसरा, जॉब प्लेसमेंट ऑफर के समय से संकेत की प्रमुखता प्रभावित होने की सम्भावना है। हमारे अध्ययन में, मैच ऑफ़र को श्रमिकों के प्रशिक्षण से स्नातक होने पर लागू किया जाता है, यह समय वह समय होता है जब प्रशिक्षु अपनी सम्भावनाओं के बारे में सबसे अधिक आशावादी होते हैं। यदि प्रशिक्षित श्रमिकों द्वारा कुछ समय तक स्वयं नौकरियों की तलाश करने के बाद मैच ऑफर लागू किए गए होते, तो श्रमिकों को हतोत्साहित करने की उनकी सम्भावना भिन्न हो सकती थी।
अंत में, हमारे नतीजे बताते हैं कि नौकरी सुरक्षित करने की ज़िम्मेदारी के लिए व्यावसायिक संस्थानों पर निर्भर रहना रोज़गार क्षमता को बढ़ाने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकता है। अपने स्नातकों (बनर्जी और चिपलुनकर 2023) के लिए रोज़गार हासिल करने में व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों द्वारा सामना किए जाने वाले गम्भीर सूचना घर्षण के उभरते सबूतों के साथ, हमारे निष्कर्ष बताते हैं कि लगातार बदलते श्रम बाज़ार को समझने व अपनाने के पर्याप्त समर्पित संसाधनों के बिना, प्रभावी नौकरी मिलान व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों के दायरे से बाहर हो सकता है।
हमारा डेटा दो चुनौतियों पर प्रकाश डालता है। पहला, हमारे नौकरी मिलान हस्तक्षेप के नतीजे में केवल मुट्ठी भर नियुक्तियाँ हुईं क्योंकि जब कम्पनियों का शुरू में सर्वेक्षण किया गया था, तब से व्यावसायिक प्रशिक्षण पूरा होने तक, मांग में काफी बदलाव आ चुका था। जिन फर्मों ने बेसलाइन पर भर्ती सम्बन्धी बाधाओं की सूचना दी थी, उन्हें प्रशिक्षण अवधि के अंत तक श्रमिकों की आवश्यकता नहीं रही। दूसरा, कर्मचारियों के व्यवहार में कुछ सूक्ष्म पूर्वाग्रह होते हैं, जिससे नौकरी लगाने के प्रयास विफल हो सकते हैं। यह इस बात पर प्रकाश डालता है कि प्रभावी मिलान केवल व्यक्तियों को फर्मों से जोड़ने के बारे में नहीं है, बल्कि इसके लिए निरंतर अद्यतन और मांग और आपूर्ति, दोनों स्थितियों की गहरी समझ के साथ-साथ जानकारी के प्रति श्रमिकों की व्यवहारिक प्रतिक्रियाओं की आवश्यकता होती है।
अंग्रेज़ी के मूल लेख और संदर्भों की सूची के लिए कृपया यहां देखें।
लेखक परिचय : ओरियाना बैंडिएरा लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस में अर्थशास्त्र की प्रोफेसर और एसटीआईसीईआरडी की निदेशक हैं। ओरियाना एलएसई में अंतर्राष्ट्रीय विकास केन्द्र, आईजीसी में राज्य क्षमताओं के अनुसंधान कार्यक्रम की सह-निदेशक भी हैं। विटोरियो बस्सी साउथ कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के सहायक प्रोफेसर हैं और आईजीसी के लिए युगांडा कंट्री टीम के प्रमुख अकादमिक भी हैं। रॉबिन बर्जेस लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर, आईजीसी के संस्थापक और अकादमिक निदेशक और आर्थिक संगठन व सार्वजनिक नीति कार्यक्रम के निदेशक हैं। इमरान रसूल यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में प्रोफेसर, वित्तीय अध्ययन संस्थान में सार्वजनिक नीति के सूक्ष्म आर्थिक विश्लेषण केन्द्र के सह-निदेशक और आईजीसी के मानव पूंजी अनुसंधान समूह के शोध सह-निदेशक हैं। मुंशी सुलेमान वर्तमान में ब्रैक इंस्टीट्यूट ऑफ गवर्नेंस एंड डेवलपमेंट, ब्रैक यूनिवर्सिटी में अनुसंधान निदेशक के रूप में कार्यरत हैं। ऐना विटाली डार्टमाउथ कॉलेज में अर्थशास्त्र विभाग में पोस्ट डॉक्टरल फेलो हैं।
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