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भारत में स्थिर वास्तविक मज़दूरी की समस्या

श्रम ब्यूरो और राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय के नए नए आँकड़े पिछले एक दशक में भारत में वास्तविक मज़दूरी के वास्तविक ठहराव की ओर इशारा करते हैं। इस शोध आलेख में दास और ड्रेज़ तर्क देते हैं कि यह प्र...

  • दृष्टिकोण

पंजाब का आर्थिक विकास : सम्भावनाएँ और नीतियाँ

वर्ष 2000 तक उत्तर भारतीय राज्य पंजाब देश में प्रति-व्यक्ति आय रैंकिंग में शीर्ष पर था, उसके बाद से इसकी स्थिति लगातार गिरती गई है। इस लेख में लखविंदर सिंह, निर्विकार सिंह और प्रकाश सिंह ने पंजाब की अ...

  • दृष्टिकोण

बदलते समाज में सामाजिक सुरक्षा जाल पर पुनर्विचार करना

इस लेख के सह-लेखक देबाशीष बारिक, पल्लवी चौधरी, बिजय चौहान, ओम प्रकाश शर्मा, दिनेश कुमार तिवारी (एनसीएईआर) और शरण शर्मा (मैरीलैंड कॉलेज पार्क विश्वविद्यालय और एनसीएईआर) हैं। ऐतिहासिक रूप से सामाजिक सु...

  • लेख

आईडियाज़@आईपीएफ2024 श्रृंखला : एनसीएईआर के भारत नीति मंच से शोध

नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च हर साल भारत नीति मंच, इंडिया पॉलिसी फोरम (आईपीएफ) की मेज़बानी करता है। यह एक ऐसा मंच है जहाँ अर्थशास्त्री और नीति-निर्माता सार्वजनिक नीति के लिए उनकी प्रासंगिकत...

  • विचार-गोष्ठी

लाल में रहते हुए हरित होने के प्रयास

स्वीडन के स्टॉकहोम में 5 से 16 जून, 1972 को आयोजित पहली पर्यावरण संगोष्ठी के परिणामस्वरूप 1973 की 5 जून को 'मात्र एक पृथ्वी' के थीम से मनाए जाने वाले विश्व पर्यावरण दिवस ने एक लम्बी अवधि का सफर तय कर ...

  • दृष्टिकोण

सतत विकास की दिशा में भारत के अवसर

गत सप्ताहांत लन्दन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स एंड पोलिटिकल साइंस में 'भारत सतत विकास सम्मेलन' का आयोजन किया गया जिसमें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित प्रो. एस्थर दुफ्लो समेत कई प्रतिष्ठित अर्थशास्त्रियों, विशेषज...

  • दृष्टिकोण

रॉबर्ट सोलोव और 'राष्ट्रों की संपन्नता'

अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार विजेता रॉबर्ट सोलोव की हाल ही, दिसम्बर 2023 में मृत्यु हुई। उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए, I4I के प्रधान सम्पादक परीक्षित घोष इस दिवंगत के कुछ योगदानों को रेखांकित ...

  • दृष्टिकोण

भारत में सिंचाई और स्थानीय आर्थिक विकास के स्थान आधारित पैटर्न

भारत की सिंचाई परियोजनाओं का उद्देश्य कृषि की उत्पादकता और ग्रामीण विकास को बढ़ावा देना है। इस लेख में ब्लेकस्ली एवं अन्य द्वारा स्थानीय आर्थिक गतिविधियों की संरचना में सिंचाई उपलब्ध होने के दीर्घकालि...

  • लेख

मजदूरों का एक विभाजन: भारत में जाति की पहचान और कार्य कुशलता

भारत में जातियाँ कुछ व्यवसायों से निकटता से सम्बद्ध हैं और ये लाखों लोगों द्वारा किए जाने वाले कार्यों का निर्धारण करती हैं। इस अध्ययन में एक नए डेटासेट का उपयोग यह दिखाने के लिए किया गया है कि अभी भी...

  • लेख

एनबीएफसी किस प्रकार से एमएसएमई वित्त की पुनर्रचना कर रहे हैं

हालांकि भारत के एमएसएमई में 99% से अधिक सूक्ष्म और लघु उद्यम शामिल हैं, उन्हें बैंक ऋण का अपेक्षाकृत कम अनुपात प्राप्त होता है। चंद्रा और मुथुसामी पिछले दो दशकों में एमएसएमई को उधार किस प्रकार से विकस...

  • दृष्टिकोण

क्या भारत में निर्यात-उन्मुख विनिर्माण मॉडल के दिन लद गए हैं?

भारत अपनी तेजी से बढ़ती कामकाजी उम्र की आबादी हेतु अच्छी तनख्वाह वाली लाखों नौकरियां सृजित करने की चुनौती का सामना कर रहा है, अतः देवाशीष मित्र विश्लेषण करते हैं कि कौन-से क्षेत्र और किस प्रकार की रणन...

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अच्छी नौकरियां सुनिश्चित कराने में शहरों की भूमिका

भारत में तेजी से हो रहे शहरीकरण के मद्देनजर, राणा हसन उन विभिन्न कारकों पर प्रकाश डालते हैं जो बड़े शहरों को छोटे नगरों और ग्रामीण क्षेत्रों से अलग करते हैं: रोजगार के अधिक अवसर, अधिकतम मजदूरी, बड़े व...

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