भारत के सभी प्रमुख शहरों में निम्न-मध्यम वर्ग के परिवारों के लिए सब्सिडी वाले घरों की बिक्री से जुड़े कार्यक्रम शुरू किए गए हैं। इस लेख में मुंबई में लॉटरी के माध्यम से कार्यान्वित एक ऐसे कार्यक्रम केविजेताओं के दृष्टिकोण संबंधीप्रभावों का अध्ययन किया गया है। इससे ज्ञात होता है कि अपार्टमेंट जीतने से लाभार्थियों के स्थानीय राजनीति की जानकारी में वृद्धि होती है, और परिवेशी सुधार करने के लिए उनकी राजनीतिक भागीदारी को बढ़ावा देती है। यह उनके बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने और रोजगार पाने पर भी बड़ा सकारात्मक प्रभाव डालता है।
राज्यस्तरीय विकास बोर्डों द्वारा भारत के सभी प्रमुख शहरों में निम्न-मध्यम वर्ग के परिवारों के लिए सब्सिडी वाले घरों की बिक्री से जुड़े कार्यक्रम आरंभ किए गए हैं। ये बोर्ड भारत की दूसरी पंचवर्षीय योजना (1951-1956) के तहत बनाए गए थे, जिनके माध्यम से राज्यों को कम आय वाले आवास (पोर्नचोकचाई 2008) विकसित करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से धन मुहैया कराया जाता था। इस विकास योजना में अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में सहकारी, नागरिक स्वामित्व (ओनरशिप) की हिमायत की गई है; नतीजतन, हाउसिंग बोर्ड ने ऐसे अपार्टमेंट विकसित किए, जिन्हें किराए पर देने के बजाय, लोगों को बेचा जासकेगा, और इन इमारतों का रखरखाव सभी मालिकों द्वारा सामूहिक रूप से किया जाएगा (गणपति 2010, सुकुमार 2001)। स्वामित्व के लिए निर्माण की यह नीति तब भी जारी रही जब 1990 के आर्थिक उदारीकरण के बाद केंद्र सरकार की विकास योजनाओं में निजी निर्माण की सुविधा के पक्ष में नीतियों को बढ़ावा दिया गया। इसके अलावा, 2015 में, भारत की संघीय सरकार ने 1.8 करोड़ से अधिक आवासों की कमी का दावा करते हुए 2022 तक 2 करोड़ सस्ते घरों के निर्माण के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) का गठन किया। इनके निर्माण के लिए सब्सिडी हेतु अनुदान देना और इन्हें स्थानीय निकायों के माध्यम से कम आय वाले लोगों को बेचना अभी भी इस नीति का एक केंद्रीय घटक रहा है।
सब्सिडी लाभार्थियों को धन हस्तांतरण के रूप में गठित किया जाता है, जिसे इनमे से किन्हीं तीन भुगतान संरचनाओं के माध्यम से दिया जाता है: जो लोग सब्सिडी वाले घर में रहना चुनते हैं उनके लिए आवासीय लाभ से, जो इसे किराए पर देना चुनते हैं उनके लिए नकद लाभ के माध्यम से, या जो इसे पुन: बेचते हैं उन्हें एकमुश्त राशि (रु 661,700 से रु 2,869,015) प्रदानकर के। यह योजनासीधे धन हस्तांतरित करने के अलावा, विशेष रूप से बढ़ते शहरों में एक ऐसी संपत्ति की खरीद की सुविधा भी प्रदान करती है जिसकी कीमत बढ़ने की काफी संभावना होती है, और इस प्रकारसे यह कई परिवारों के लिए संपत्ति सृजन की आधारशिला बन जाती है।
योजना और कार्यप्रणाली
हाल ही में किए गए शोध (कुमार 2019 ए, कुमार 2019 बी) में मैंने महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (म्हाडा) द्वारा मुंबई में लागू किए गए एक सब्सिडी वाले आवास कार्यक्रम का अध्ययन किया है। म्हाडा ऐसे आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) और निम्न-आय वर्ग, शहरी निवासियों के लिए सब्सिडी वाले आवास कार्यक्रम चलाता है: (1) जिनके पास खुद का घर नहीं है, और (2) जो बिक्री से पहले 20 वर्षों के भीतर कम से कम 15 वर्ष निरंतर महाराष्ट्र राज्य में रहे हैं। विजेता,राज्य के स्वामित्व वाले बैंक से ऋण प्राप्त कर सकते हैं, और उनमें से अधिकांश विजेता 15 वर्ष की अवधि का बंधक पत्र (मॉर्गेज) लेते हैं। जबकि डाउन पेमेंट और मॉर्गेज के कारण यह कार्यक्रम शहर के सबसे गरीब निवासियों की पहुंच से दूर है, यह ऐसे मध्यम वर्गीय परिवारों को भारी सब्सिडी वाले अपार्टमेंट खरीदने का अवसर देता है जिनके पास संपत्ति नहीं होती है।
चूँकि यह कार्यक्रम, अधिकांश अन्य कार्यक्रमों की तरह राज्य आवास बोर्डों द्वारा चलाया जाता है और इसके तहत एक यादृच्छिक लॉटरी प्रणाली के माध्यम से अपार्टमेंट आवंटित किए जाते हैं अत: विजेताओं और गैर-विजेता आवेदकों के संबंध में इस अध्ययन को यादृच्छिक प्रयोग के रूप में देखा जा सकता है। सितंबर 2017 से मई 2018 के दौरान, मैंने मुंबई के 'पुकार' नामक एक गैर-सरकारी संगठन के साथ काम किया, और योजना के परिणामों को समझने के लिए 2012 और 2014 में मुंबई में हुई 8 लॉटरियों के कुल 834 विजेताओं और गैर-विजेताओं का सर्वेक्षण किया। सर्वेक्षण किए गए विजेताओं और गैर-विजेताओं के समूह उनकी विशेषताओं के मानदंडों, जैसे जाति, धर्म और अन्य सामाजिक-आर्थिक संकेतकों में औसतन समान हैं। शामिल लॉटरियों में अपार्टमेंट के लिए क्षेत्रफल, लागत, और डाउन पेमेंट के बारे में जानकारी निम्नलिखित सूची 1 में देखी जा सकती है।
सूची 1. नमूने में शामिल लॉटरी अपार्टमेंट
योजना |
वर्ग |
नजदीकी क्षेत्र |
क्षेत्रफलi |
आबंटित मूल्यii |
वर्तमान मूल्यiii |
274 |
निम्न-आय वर्ग |
चारकोप |
402 |
2,725,211 |
5,000,000 |
275 |
निम्न-आय वर्ग |
चारकोप |
462 |
3,130,985 |
6,000,000 |
276 |
निम्न-आय वर्ग |
चारकोप |
403 |
2,731,441 |
5,000,000 |
283 |
निम्न-आय वर्ग |
मालवनी |
306 |
1,936,700 |
2,800,000 |
284 |
निम्न-आय वर्ग |
विनोबा भावे नगर |
269 |
1,500,000 |
2,700,000 |
302 |
आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग |
मानखुर्द |
269 |
1,626,500 |
2,000,000 |
303 |
निम्न-आय वर्ग |
विनोबा भावे नगर |
269 |
2,038,300 |
2,700,000 |
305 |
आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग |
मागठाणे |
269 |
1,464,500 |
5,000,000 |
नोट: (i) वर्ग फुट में; इसका अर्थ 'कारपेट एरिया (फर्श क्षेत्र)', या वास्तविक अपार्टमेंट का कुल क्षेत्र है और इसमें कॉमन एरिया (सामान्य क्षेत्र) शामिल नहीं है।
(ii) मूल्य (रु. में) जिस पर विजेताओं ने लॉटरी में बताई गई कीमतपर घर खरीदा।
(iii) इसी इलाके में इसी वर्ग फुटेज के म्हाडा फ्लैट का औसत बिक्री मूल्यकी सूची। magicbricks.com (एक वेबसाइट) से एकत्र किया गया डेटा ।
निष्कर्ष
मैंने पहले यह जांच की कि क्या विजेताओं ने प्राप्त सब्सिडी का अपने बच्चों पर पुन: निवेश किया या नहीं। मैंने पाया कि बच्चों की शिक्षा प्राप्ति और रोजगार पाने पर बड़ा प्रभाव पड़ा है। विजेता परिवारों में शिक्षा के वर्षों की औसत संख्या 0.24 मानक अंतर1 (स्टैंडर्ड डिविएशन) या गैर-विजेता घरों की तुलना में आधा वर्ष अधिक है। दूसरे शब्दों में, भारत में मानव विकास सर्वेक्षण (IHDS)-II (2017) के आंकड़ों के आधार पर, इस योजना से मुंबई में परिवारों की शिक्षा का औसत लगभग 63 से 73 प्रतिशतक हो जाता है।
यह बदलाव बच्चे की माध्यमिक और उससे ऊपर की शिक्षा को पूरा करने की संभावना पर पड़ने वाले प्रभाव को, इस संभावना की वृद्धि खासकर स्कूली-बच्चों (युवा) मे ज्यादा। उदाहरण के लिए, घर के ऐसे सदस्य जो लॉटरी के बाद 16 साल के हुए हों, उनकी 10वीं कक्षा के बाद स्कूली शिक्षा जारी रखने की संभावना 13 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। घर के ऐसे सदस्य जो लॉटरी के बाद 21 साल के हुए हों उनकी माध्यमिक शिक्षा से ऊपर की शिक्षा पूरी करने की संभावना 15 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। इसके अलावा, घर मिलने के परिणामस्वरूप व्यक्तियों के बीच रोजगार का स्तर 4 प्रतिशत तक बढ़ जाता है; यह प्रभाव आकार उन युवाओं के लिए 17.3 प्रतिशत है जो घर मिलने के बाद 21 वर्ष के हुए हों, या जिनके पास अपनी शिक्षा पूरी करने का मौका था। 7.4 प्रतिशत असल में समग्र रोजगार प्रभाव वास्तव में पूर्णकालिक श्रम (फुल्-टाइम लेबर) में की बड़ी वृद्धि कोऔर अंशकालिक (पार्ट-टाइम), या आकस्मिक (कैज्वल), रोजगार की दरों में कमी को प्रदर्शित करते हैं।
इन प्रभावों के कई संभावित कारण हैं, जिनमें बजट बाध्यताओं में बदलाव होना, भविष्य के बारे में दृष्टिकोण और शिक्षा से होने वाले लाभ को समझना शामिल हैं। जगह बदलना शायद प्रभावों की व्याख्या नहीं करता है, क्योंकि विजेता औसतन वहीं रहते हैं जहां विद्यालयों की गुणवत्ता खराब है और गैर-विजेताओं की तुलना में उनकी साक्षरता और रोजगार की दर कम होती है। मुझे यह सुझाव देने के लिए प्रमाण मिले हैं कि घर मिलने से दृष्टिकोण और वरीयताओं (पसंद) में परिवर्तन होता है। विजेताओं को अपनी वित्तीय स्थितियों के बारे में खुशी महसूस होती है, वे अपने बच्चों के लिए बेहतर जीवन की उम्मीद करने लगते हैं, उनकेशहर में स्थायी रूप से रहने की योजना बनाने की संभावना अधिक हो जाती है, और वे थोड़ा अधिक 'व्यक्तिवादी' दृष्टिकोण रखते हैं। दृष्टिकोण और विश्वास संभावित रूप से घरों के निवेश संबंधी निर्णयों पर अधिक प्रभाव डालते हैं। हाल के शोध कार्य (उदाहरण के लिए, मणि एवं अन्य 2013, हौसहोफर और फेहर 2014) में यह पाया गया है कि गरीबी के कारण पैदा हुई असुरक्षा दीर्घकालिक लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करने को कठिन बना सकती है, और अल्पकालिक-दृष्टि वाले व्यवहार की ओर ले जाती है।
लाभार्थियों को इस घर के भाव और अपने नए संपत्ति की सुरक्षा के लिए स्थानीय शासन में सुधार करने के लिए विशेष रूप से प्रेरित करता है। मुझे लगता है कि विजेताओं की वार्ड स्तर की बैठकों में, जहां स्थानीय सामुदायिक सुधारों पर चर्चा की जाती है, भाग लेने की संभावना गैर-विजेताओं की तुलना में औसतन लगभग 29 प्रतिशत अधिक होती है। उनकी अपने समुदायों के लिए सुधार की मांग करने हेतु अधिकारियों और राजनेताओं से व्यक्तिगत रूप से संपर्क करने की संभावना 14 प्रतिशत ज्यादा होती है, समूह में संपर्क करने की संभावना 11 प्रतिशत अधिक, और स्थानीय निर्वाचित अधिकारी का नाम सही ढंग से बताने की संभावना 11 प्रतिशत अधिक होती है। यह प्रभाव व्यवहार में परिवर्तन और स्थानीय स्तर के मुद्दों में बढ़ी हुई रुचि से भी जुड़ जाती है।
यह स्थानीय स्तर की भागीदारी केवल नए अपार्टमेंट बुईल्डिंगों में रहने वालों तक ही सीमित नहीं है। विजेता अपने घरबदलने के लिए बाध्य नहीं हैं, बल्कि उन्हें किराए पर भी दे सकते हैं। और मकान मालिक या जो लोग घरों को किराए पर देते हैं, वे घरों के किराये या पुनर्विक्रय मूल्यों को बढ़ाने के लिए सामुदायिक सुधार की कोशिश कर सकते हैं। 59 फीसदी मकान मालिक, जो उन घरों में नहीं रहते बल्कि उन्होंने इन्हें किराए पर दिया हुआ है, अपने इन लॉटरी से मिले घरों तक की लंबी दूरी तय कर के आते हैं ताकि वे सामुदायिक सुधार हेतु सामूहिक कार्रवाई में भाग लें सकें जो यह इंगित करता है कि संगठित होने के लिए यह एक ऐसा प्रोत्साहन है जो समुदाय के भीतर के सामाजिक दबाव से अलग है। जबकि कपूर और नांगिया (2015) ने तर्क दिया है कि भारत सरकार बुनियादी वस्तुओं और सेवाओं के प्रावधान से अधिक कल्याणकारी कार्यक्रमों के लिए अधिक पैसे नीयित करती है, इन निष्कर्षों से पता चलता है कि कम से कम कुछ कल्याणकारी कार्यक्रम अपने स्थानीय नागरिकों के कार्यों के प्रभावों के माध्यम से बुनियादी वस्तुओं और सेवाओं के प्रावधान को प्रभावित कर सकते हैं।
टिप्पणी:
- मानक विचलन (स्टैंडर्ड डिविएशन) एक ऐसा माप है जिसका उपयोग किसी समुच्चय के औसत मान (औसत) से मानों के एक सेट की भिन्नता या प्रसरण की मात्रा को निर्धारित करने के लिए किया जाता है।
लेखक परिचय: तनु कुमार कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय (बरक्ले) में राजनीति शास्त्र से पीएचडी कर रही हैं।
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