भारत में महिला शिक्षा दरों में वृद्धि के बावजूद, विश्व स्तर पर भारत में महिला श्रम-शक्ति भागीदारी दर सबसे कम में से है। शादी डॉट कॉम (Shaadi.com) पर उपलब्ध प्रोफाइल के माध्यम से एकत्र किए गए डेटा का उपयोग करते हुए, दिवा धर उन महिलाओं के संदर्भ में विवाह बाजार में नुकसान (पेनल्टी) का अनुमान लगाती हैं जो शादी के बाद काम करना पसंद करती हैं। इस लेख में, वैवाहिक प्रोत्साहनों द्वारा महिलाओं के करियर विकल्पों का निर्धारण कैसे किया जाता है, इस पर ध्यान दिया गया है, साथ ही यह लेख भारत में महिला श्रम-शक्ति की भागीदारी दरों में लैंगिक मानदंड की भूमिका पर भी प्रकाश डालता है।
मैं भारत और दुनिया-भर के कई दर्शकों की तरह वर्ष 2020 की गर्मियों में नेटफ्लिक्स के शो 'इंडियन मैचमेकिंग' में सीमा आंटी को देख रही थी। भारत में शादी से संबंधित घोषणाओं से इस शो की बड़ी आलोचना हुई- "भारतीय उन बहुओं से डरते हैं जो वकील हैं" या "अगर वह [पत्नी] काम करती है, तो बच्चों की देखभाल कौन करेगा?"। हालांकि प्रभाव हेतु इन घोषणाओं को नाटकीय रूप दिया गया हो सकता है, पर दुर्भाग्य से भारतीय महिलाओं के संदर्भ में इन घोषणाओं में कुछ हद तक सच्चाई है। हाल के एक अध्ययन (धर 2022) में, मैं काम करना चाहने वाली महिलाओं द्वारा विवाह बाजार में सामना किये जा रहे पूर्वाग्रह की सीमा को मापती हूं। आंकड़े चौंकाने वाले हैं,लेकिन भारत में अपने जीवनसाथी की तलाश करने की कोशिश कर रही कई करियर-उन्मुख युवा महिलाओं के संदर्भ में यह सच है।
प्रेरणा
भारत में विश्व स्तर पर महिला श्रम-शक्ति भागीदारी की दर सबसे कम में से है। इस तथ्य के बावजूद कि महिला शिक्षा दर में वृद्धि हुई है, बुनियादी ढांचे में सुधार हुआ है, और प्रजनन दर में गिरावट आई है(चटर्जी एवं अन्य 2018)। इसके लिए माप में त्रुटि (देशपांडे और कबीर 2020) से लेकर नौकरियों के शहरीकरण (चटर्जी एवं अन्य 2015),और सुरक्षा (सिद्दीकी 2019, बोरकर 2021) तक कई परस्पर जुड़े स्पष्टीकरण हैं। महिलाओं के कार्य-बल से बाहर रहने का एक और महत्वपूर्ण लेकिन समझ में आने वाला कारण विवाह से संबंधित लैंगिक मानदंड- और विशेष रूप से जीवनसाथी के लिए बाजार में पुरुष प्राथमिकताएं हो सकता है।
आधे भारतीय वयस्क सोचते हैं कि जिनके पति अच्छी कमाई करते हैं उन विवाहित महिलाओं को घर से बाहर काम नहीं करना चाहिए (कॉफ़ी एवं अन्य 2018)। संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे संदर्भों में किये गए शोध दर्शाते हैं कि वैवाहिक प्रोत्साहन और पुरुष प्राथमिकताएं महिलाओं को श्रम-शक्ति में शामिल होने, उसमें बने रहने या उत्कृष्टता प्राप्त करने से रोक सकती हैं (फिशमन एवं अन्य 2006, बर्सटाइन एवं अन्य 2017)। निकट-सार्वभौमिक विवाह दरों की विशेषता वाले देश- भारत में जीवनसाथी की तलाश और अधिक आसानी से करने की इच्छा कहीं अधिक परिणामी हो सकती है (कश्यप एवं अन्य 2015, अंतर्राष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान, 2017)। इसलिए काम करने हेतु महिलाओं की पसंद या निर्णय वैवाहिक बाजार में वैवाहिक प्रोत्साहन और परिणामों के साथ निकटता से जुड़े हो सकते हैं।
इस संभावित कड़ी का पता लगाने के लिए, मैंने कामकाजी महिलाओं द्वारा अपने जीवनसाथी की तलाश के दौरान सामना किये जा रहे भेदभाव की स्पष्ट रूप से पहचान करने हेतु लोकप्रिय वैवाहिक वेबसाइट Shaadi.com1 पर एक नया प्रयोग किया। मैं इस बात पर भी विचार करती हूं कि क्या यह पूर्वाग्रह इस आधार पर बढ़ता या घटता है कि महिला अपने पुरुष साथी से अधिक या कम कमाती है।
प्रयोग का डिजाइन
मैं कामकाजी महिलाओं के खिलाफ पुरुषों के पूर्वाग्रह का परीक्षण करने हेतु एक ‘पत्राचार प्रयोग’ (बर्ट्रेंड और मुलैनाथन 2004, एडेलमैन एवं अन्य 2017) का उपयोग करती हूँ।
मैं सबसे पहले वास्तविक प्रोफाइल के आधार पर मॉडल किये गए विभिन्न जातियों/उप-जातियों की महिलाओं के विशिष्ट वैवाहिक प्रोफाइल बनाती हूं। इन प्रोफाइलों में महिलाओं की फ़ोटो तब तक छिपी रहती हैं जब तक कि किसी विवाह इच्छुक पुरुष से रूचि-अनुरोध प्राप्त न हो जाए (‘शादी डॉट कॉम’ की आम प्रथा)। केवल काम और आय को छोड़कर सभी प्रोफाइल की विशेषतायें (जैसे उम्र, कद, शिक्षा, जीवन शैली) एक-समान होती हैं।
फिर मैं वेबसाइट से कुछ जातियों/उप-जातियों और एक निर्दिष्ट भौगोलिक स्थान (दिल्ली के आसपास) और वार्षिक आय वर्ग (4,00,000-7,00,000 रुपये) के 2,750 सक्रिय विवाह इच्छुक पुरुषों के एक यादृच्छिक नमूने की पहचान करती हूं। इन पुरुष उपयोगकर्ताओं को उनकी जाति/उप-जाति की महिला प्रोफाइल से रूचि-अनुरोध भेजे जाते हैं। उनसे संपर्क करने वाले प्रोफ़ाइल का प्रकार व्यवस्थित रूप से भिन्न था,जिसमें पांच प्रकार की महिलाओं में से एक से संदेश प्राप्त करने के लिए पुरुषों को यादृच्छिक रूप से चुना गया था।
i) कभी काम नहीं किया (एनडब्ल्यू) - महिला काम नहीं कर रही है और शादी के बाद काम करने का इरादा नहीं रखती है।
ii) काम करना जारी रखना- एच (एचआईडब्ल्यू+) - महिला उच्च आय (रु.700,000 -1,000,000) पर काम कर रही है और शादी के बाद भी काम करना जारी रखना चाहती है।
iii) काम करना जारी रखना- एल (एलआईडब्ल्यू+) - महिला कम आय (200,000 - 400,000 रुपये) पर काम कर रही है और शादी के बाद भी काम करना जारी रखना चाहती है।
iv) काम करना बंद करना- एच (एचआईडब्ल्यू) - महिला उच्च आय (700,000 - 1,000,000 रुपये) पर काम कर रही है और शादी के बाद काम छोड़ना चाहती है।
v) काम करना बंद करना- एल (एलआईडब्ल्यू) - महिला कम आय (200,000 - 400,000 रुपये) पर काम कर रही है और शादी के बाद काम छोड़ना चाहती है।
आसान संदर्भ हेतु, कार्य और आय पर इन भिन्नताओं को नीचे तालिका 1 में दर्शाया गया है।
तालिका 1. पांच ‘उपचार’ तरीकों (आर्म) का सारांश
इनमें से किसी एक प्रोफाइल से यादृच्छिक आधार पर रूचि-अनुरोध भेजने के बाद, विवाह- इच्छुक पुरुष की प्रतिक्रियाओं की निगरानी 30 दिनों की अवधि के लिए की गई। विवाह- इच्छुक पुरुष रूचि-अनुरोध को स्वीकार कर सकते हैं,अस्वीकार कर सकते हैं, तस्वीर के लिए अनुरोध कर सकते हैं या जवाब नहीं देना चुन सकते हैं। ये प्रतिक्रियाएं अध्ययन के प्राथमिक परिणाम थे। इस प्रकार से ये पुरुष प्रतिक्रियाएं स्क्रीनिंग चरण में प्रकट प्राथमिकताओं को दर्शाती हैं, और शारीरिक बनावट या अन्य विशेषताओं में अंतर के लिए समायोजन की चुनौतियों से बचती हैं।
जाँच-परिणाम
परीक्षण के परिणाम चौंकाने वाले हैं। अन्य सभी समान होने के कारण, मैंने पाया कि जिन महिलाओं ने कभी काम नहीं किया है, उन्हें पुरुष उपयोगकर्ताओं से सबसे अधिक सकारात्मक प्रतिक्रियाएं मिलने की संभावना है। लगभग 70% पुरुष उनकी प्रतिक्रियाओं को स्वीकार करेंगे। इसके बाद,जिन महिलाओं ने काम किया है लेकिन शादी के बाद काम छोड़ने को तैयार हैं, उन्हें लगभग 66% प्रतिक्रियाएं मिलती हैं- लेकिन अधिकांश रूप से ये सांख्यिकीय रूप से महत्वपूर्ण नहीं हैं। हालांकि, शादी के बाद भी काम करना जारी रखने की इच्छा रखने वाली महिलाओं के लिए प्रतिक्रिया में भारी गिरावट आई। उच्च आय (एचआईडब्ल्यू+) और निम्न आय (एलआईडब्ल्यू+) समूहों के लिए प्रतिक्रियाओं की स्वीकृति दर क्रमशः 59.6% और 54.7% है। यह ‘कभी काम नहीं किया’ (एनडब्ल्यू) समूह से 10 से 15 प्रतिशत अंकों की समग्र प्रतिक्रिया दरों में अंतर को दर्शाता है, जो शादी के बाद काम करने हेतु महिलाओं के इरादों के कारण हो सकता है। चित्र 1 इन निष्कर्षों को सारांशित करता है।
चित्र 1. ‘उपचार’ समूहों में औसत प्रतिक्रियाएं
टिप्पणियाँ: (i) क्षैतिज-अक्ष पर औसत प्रतिक्रियाएं प्रत्येक उपचार समूह से प्राप्त सभी रूचि-अनुरोध के प्रति विवाह-इच्छुक पुरुष द्वारा प्रतिक्रियाओं का अनुपात है, उदाहरण के लिए, 0.7 = 70% प्रतिक्रिया दर (ii) भूरे लाल रंग के मानक त्रुटि बार 95% विश्वास अंतराल को दर्शाते हैं। 95% विश्वास अंतराल का अर्थ है कि यदि आप नए नमूनों के साथ अपने प्रयोग को बार-बार दोहराते हैं, तो 95% समय परिकलित विश्वास अंतराल में सही प्रभाव होगा।
शादी के बाद अपने करियर को आगे बढ़ाने का इरादा रखने वाली महिला के लिए शादी के बाजार में नुकसान कितना कठोर है? इन औसत प्रतिक्रिया दर का मतलब है कि जिन महिलाओं ने कभी काम नहीं किया है उन्हें शादी के बाजार में उन महिलाओं की तुलना में 15-20% अधिक रूचि-अनुरोध प्राप्त होते हैं जो काम करना चाहती हैं। इसका मतलब यह है कि हर 100 पुरुष जो उस महिला को प्रतिक्रिया देते हैं जिसने कभी काम नहीं किया है, केवल 78-85 पुरुष उस महिला को प्रतिक्रिया देंगे जो काम करना जारी रखना चाहती है। ये परिणाम विभिन्न विशिष्टताओं के प्रतिगमन विश्लेषण के संदर्भ में सुसंगत हैं: पुरुष काम करने वाली महिला में कम रुचि रखते हैं।
तथापि दिलचस्प बात यह है कि अपेक्षाकृत अधिक कमाने वाली महिलाओं को सबसे अधिक नुकसान नहीं उठाना पड़ता है। बजाय इसके, उन्हें अपने कम कमाई वाले साथियों की तुलना में कम नहीं, बल्कि अधिक रूचि-अनुरोध प्राप्त होते हैं। मेरे अध्ययन से पता चलता है कि पुरुषों की उन महिलाओं को प्रतिक्रिया देने की संभावना 10 प्रतिशत कम थी जो उनसे अधिक कमाती हैं और शादी के बाद भी काम करना चाहती हैं (HIW+ समूह)। उनके द्वारा उन महिलाओं को प्रतिक्रिया देने की संभावना 15 प्रतिशत कम थी जो उनसे कम कमाती हैं लेकिन शादी के बाद काम जारी रखना चाहती हैं (एलआईडब्ल्यू+ समूह)। इन परिणामों से संकेत मिलता है कि जो महिलाएं काम करना चाहती हैं, लेकिन अपने विवाह-इच्छुक पुरुष से कम कमाती हैं,उन्हें सबसे कम दिलचस्पी प्राप्त होती है।
इसलिए जबकि कामकाजी पत्नी होने के खिलाफ स्पष्ट मानक दिखते हैं, उच्च आय वाली पत्नी से अतिरिक्त आय नुकसान को कमजोर करने में मदद करती है। भावी पति उच्च घरेलू आय को स्वीटनर के रूप में अधिक मानते हैं, यह दर्शाता है कि यह एक कमजोर आय प्रभाव है, जो लैंगिक मानदंड चैनल के विपरीत है। इससे 'मानव पूंजी विकास' चैनल के लिए भी बहुत कम साक्ष्य मिलते हैं जहां शादी से पहले कुछ कार्य-अनुभव वाली पत्नियों के लिए अधिक प्राथमिकता होगी,भले ही वे शादी के बाद काम करने के मानदंड को नहीं तोड़ रही हों। कुल मिलाकर, इन परिणामों की व्याख्या के संदर्भ में ‘महिलाओं को शादी के बाद काम नहीं करना चाहिए’ वाला लैंगिक मानदंड हावी प्रतीत होता है।
जाति के आधार पर भी स्पष्ट अंतर हैं। ब्राह्मण और अग्रवाल जैसे (सीमित जाति)अपेक्षाकृत उच्च जातियों वाले नमूने में समग्र नुकसान दिखाई देता है।
निष्कर्ष
सीमा आंटी शादी के बाजार के बारे में एक-दो बातें जानती हैं। दुर्भाग्यपूर्ण वास्तविकता यह है कि जो महिलाएं काम में करियर बनाने में रुचि व्यक्त करती हैं उन महिलाओं को शादी के बाजार में बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है। मेरे अध्ययन में, संभावित रूप से अधिक रूढ़िवादी लैंगिक मान्यताओं वाले उच्च जातियों में यह सबसे अधिक हावी है। ये पुरुष और पारिवारिक प्राथमिकताएं हमारे जीवन में सबसे महत्वपूर्ण निर्णयों में से एक- जीवनसाथी ढूंढना,को प्रभावित करती हैं- जो यह दर्शाता है कि भारत की महिला श्रम-शक्ति भागीदारी दरों की पहेली को बुझाने में लैंगिक मानदंड एक अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
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टिप्पणी:
- शादी डॉट कॉम एक ऑनलाइन वैवाहिक मैचमेकिंग सेवा है। यह 1997 में स्थापित की गई है और यह भारतीय परिवारों में बहुत चर्चित है।
लेखक परिचय: दिवा बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन में महिला आर्थिक अधिकारिता की उप निदेशक हैं।
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