मानव विकास

महिलाओं को पीछे छोड़ दिया: सरकारी स्वास्थ्य बीमा के उपयोग में लैंगिक असमानताएँ

  • Blog Post Date 23 अप्रैल, 2021
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Pascaline Dupas

Stanford University

pdupas@stanford.edu

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Radhika Jain

University College London

radhika.jain@ucl.ac.uk

भारत में स्वास्थ्य नीति का एक प्रमुख लक्ष्य स्वास्थ्य सेवा में समानता लाना है। राजस्थान के प्रशासनिक आंकड़ों का विश्लेषण करते हुए इस लेख में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि राज्य स्वास्थ्य बीमा कार्यक्रम के तहत सब्सिडी-प्राप्‍त अस्पताल देखभाल के उपयोग में बड़ी मात्रा में लैंगिक असमानता मौजूद है। कार्यक्रम का काफी विस्‍तार किए जाने के बावजूद ये असमानताएँ बनी हुई हैं, और ऐसा प्रतीत होता है कि ये असमानताएं परिवारों द्वारा स्‍वास्‍थ्‍य संसाधनों को पुरुषों की तुलना में महिलाओं को आवंटित करने की कम इच्‍छा के कारण हैं।

 

पिछले 15 वर्षों में भारत की केंद्र सरकार और कई राज्य सरकारों ने ऐसे स्वास्थ्य बीमा कार्यक्रमों को लागू किए हैं जो कम आय वाले परिवारों को सार्वजनिक और सूचीबद्ध निजी अस्पतालों में मुफ्त स्वास्थ्य सेवा प्राप्‍त करने का अधिकार प्रदान करते हैं। स्वास्थ्य सेवाओं की समान रूप से उपलब्‍धता और सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज इन कार्यक्रमों के स्पष्ट लक्ष्य हैं। हम अपने हालिया शोध (डुपास और जैन 2021) में, 2015 में राजस्थान राज्य में आरंभ की गई भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना (बीएसबीवाई)1, जिसकी डिजाइन राष्‍ट्रीय प्रधानमंत्री जन आरोग्‍य योजना (पीएमजेएवाई)2 के समान है, में लैंगिक समानता का अध्ययन करते हैं।

हमारा प्रारंभिक बिंदु 2015 और 2019 के बीच सभी 42 लाख अस्पताल विजिट में दायर किए गए बीमा दावों का एक डेटासेट है, जिसमें रोगी की आयु, लिंग, आवसीय पता, अस्पताल का नाम, भर्ती होने और छुट्टी मिलने की तारीखें और प्राप्‍त की गई सेवा(ओं) के ब्‍यौरे को शामिल किया गया है।3 हम अस्पताल के स्थानों और रोगियों के पतों को भू-कोडित करते हैं, जिसके परिणामस्‍वरूप हम अस्‍पतालों की निकटता तथा प्रत्‍येक अस्‍पताल विजिट के लिए तय की गई दूरी की गणना करने में समर्थ होते हैं। अंत में, हमने बीमा के आंकड़ों को 2011 की जनगणना के आंकडों और ग्राम-स्तरीय (ग्राम पंचायत4) चुनाव के तीन राउंड के आंकड़ों से जोड़ा है5। हमारे समझ के अनुसार, इन विभिन्न स्रोतों से संकलित डेटासेट भारत में अपने प्रकार का पहला डेटासेट है और हमें असामान्य विवरण के साथ बीमा के तहत देखभाल-चाहने संबंधी अध्ययन करने में सक्षम बनाता है।

बीमा के तहत अस्पताल विजिट में बड़ी लैंगिक असमानताएं

सभी अस्पताल विजिट में महिलाओं का हिस्‍सा केवल 45% है, जिसमें सबसे बड़े अंतराल 15 वर्ष से कम आयु के बच्‍चों (33%) और 50 वर्ष एवं उससे अधिक आयु के वयस्कों (43%) के बीच हैं (आकृति 1)। ये अंतराल राजस्थान के विषम जनसंख्या लिंगानुपात की तुलना में बहुत बड़े हैं। हम यह भी दर्शाते हैं कि मूलभूत स्वास्थ्य आवश्यकताओं में अंतर इन अंतरालों का कारण नहीं हो सकता है: स्वास्थ्य संबंधी विभिन्‍न परिस्थितियों में, बीएसबीवाई के तहत अस्पताल विजिट में महिलाओं की हिस्सेदारी, भारत में रोग के वैश्विक भार (जीबीडी) से लैंगिक रूप से विशिष्‍ट बीमारी के प्रसार अध्‍ययन के आधार पर लगाए गए अनुमान से 10 प्रतिशत से अधिक कम होने की उम्मीद होगी। इस तुलना के आधार पर, हम अनुमान लगाते हैं कि 2017 से 2019 के बीच केवल नेफ्रोलॉजी, कार्डियोलॉजी और ऑन्कोलॉजी की देखभाल के लिए ही महिलाओं की अस्‍पताल विजिट में 2,25,000 से अधिक की कमी है।

आकृति 1. बीमा के तहत अस्पताल विजिट में महिलाओं की आयु के अनुसार हिस्सेदारी

स्रोत: जनगणना (2011); राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (एनएसएस) के 71 वें (2014) और 75 वें (2017) दौर; भामाशाह स्‍वास्‍थ्‍य बीमा योजनादावा डेटाबेस 2015-2019

नोट: (i) नीली पट्टियाँ प्रत्येक समूह के भीतर महिलाओं के लिए बीमा दावों के हिस्से को प्रदर्शित करती हैं। (ii) लाल डायमंड जनसंख्‍या में महिलाओं के हिस्‍से को प्रदर्शित करते हैं, और हरे डायमंड गरीब जनसंख्‍या में महिलाओं के हिस्से को प्रदर्शित करते हैं, जो भामाशाह स्‍वास्‍थ्‍य बीमा योजना की पात्र जनसंख्‍या के अनुरूप है।

ये परिणाम भारत में अन्य बीमा कार्यक्रमों में दर्ज की गई लैंगिक असमानताओं (शेख एवं अन्‍य 2018) के अनुरूप हैं। इन अंतरालों के परिणामस्वरूप, सार्वजनिक व्यय में भी प्रभावी रूप से झुकाव पुरुषों के लिए अधिक दिखता है। यहां तक ​​कि प्रसूति देखभाल के लिए भी, 2019 में महिलाओं पर किया गया योजनागत व्‍यय कुल व्‍यय का 44.4% था। इसके विपरीत, अमेरिका में सालाना मेडिकेड व्‍यय का लगभग 57% महिलाओं पर होता है।

घरेलू संसाधनों का पक्षपातपूर्ण आवंटन लैंगिक असमानताओं में योगदान देता है

हालांकि, ऐसे कई कारक हो सकते हैं जो स्वास्थ्य देखभाल के उपयोग के लिए महिला-विशिष्ट अवरोध पैदा करते हैं (उदाहरण के लिए, सुरक्षित परिवहन की कमी), हम इस बात का साक्ष्‍य देते हैं कि परिवार के भीतर लैंगिक आधार पर संसाधनों का पक्षपातपूर्ण आवंटन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसे प्रदर्शित करने के लिए, हम सहज ज्ञान के आधार पर दर्शाते हैं कि लैंगिक आधार पर पक्षपात होने पर देखभाल की मांग की कोई भी लागत लैंगिक असमानता को बढ़ाएगी। सर्वप्रथम, हम कार्यक्रम के तहत की जाने वाली निशुल्‍क देखभाल के लिए, अस्पतालों द्वारा लिए जा रहे अनेक प्रत्‍यक्ष प्रभारों को दर्ज करने हेतु रोगियों के साथ किए गए सर्वेक्षणों का उपयोग करते हैं।6 महिलाओं द्वारा अस्‍पतालों या सेवाओं का उपयोग करने की संभावना प्रत्‍यक्ष प्रभार में वृद्धि के साथ कम होती जाती है, जो यह इंगित करता है कि ये प्रभार महिलाओं के लिए देखभाल की मांग में बाधा उत्‍पन्‍न करते हैं। महिलाओं द्वारा सेवाओं का उपयोग, निकटतम अस्पताल से दूरी में वृद्धि के साथ भी तेजी से कम होता है, जो देखभाल लागत का एक और माप है। अंत में, यहां तक ​​कि ऐसे परिवार भी जो महिलाओं की देखभाल करना चाहते हैं, उन्हें भी महिला देखभाल की तुलना में पुरुष देखभाल के लिए ज्यादा दूर यात्रा करते हुए देखा जाता है। कुल मिलाकर, ये परिणाम इस बात के मजबूत साक्ष्‍य प्रदान करते हैं कि परिवारों में महिलाओं की तुलना में पुरुषों के स्वास्थ्य के लिए अधिक संसाधन आवंटित किए जाते हैं।

देखभाल-मांग की लागत को कम करने से लैंगिक असमानता में कमी नहीं आएगी

यह पता करने के लिए कि जब देखभाल-मांग की लागत कम हो जाती है तो लैंगिक असमानताओं पर क्‍या प्रभाव पड़ता है, हम गांवों के नजदीक नए अस्पतालों, जो बीएसबीवाई के तहत निकटतम निजी अस्पताल की दूरी को कम कर देते हैं, की सूची का उपयोग करते हैं। महिला और पुरुष दोनों की अस्पताल विजिट की संख्‍या तुरंत और काफी संख्‍या में बढ़ जाती है, लेकिन इन विजिट में महिलाओं की हिस्‍सेदारी अपरिवर्तित रहती है। यह विपरीतार्थक लग सकता है, लेकिन लैंगिक पक्षपात होने पर, देखभाल की लागत को कम करने से महिलाओं द्वारा इसके उपयोग में वृद्धि हो सकती है, परंतु यह लैंगिक असमानताओं को कम करने में असफल हो सकता है, क्योंकि परिवार महिलाओं की तुलना में पुरुषों पर अधिक मात्रा में खर्च करना पसंद करते हैं। इससे यह स्‍पष्‍ट होता है कि इस योजना के कार्यान्वयन के चार वर्षों में भले ही योजना का विस्‍तार और कुल उपयोग में वृद्धि हुई है फिर भी विजिट की संख्‍या में महिला हिस्सेदारी कम क्यों हो जाती है (आकृति 2)। यद्यपि इस कार्यक्रम का तेजी से विस्तार हुआ, फिर भी 2016 में लगभग आधे मिलियन अस्पताल विजिट से 2019 में 1.2 मिलियन विजिट (प्रसव को छोड़कर) को देखें तो, इस अवधि में विजिट की संख्‍या में महिलाओं की हिस्सेदारी कम हो गई। केवल पहुंच का विस्तार करना लैंगिक अंतरालों को समाप्‍त करने के लिए पर्याप्त नहीं है।

आकृति 2. कार्यक्रम का विस्‍तार और लैंगिक असमानताएं

स्रोत: भामाशाह स्‍वास्‍थ्‍य बीमा योजना दावों का डेटा।

नोट: (i) नीली मोटी रेखाएं 2016 और 2019 के बीच प्रत्‍येक वर्ष में कुल अस्पताल विजिट की संख्‍या को दर्शाती है, जिसमें बच्चे के जन्म संबंधी विजिट शामिल नहीं है। (ii) काली बिंदुवत रेखा इसी अवधि में (दांए ऊर्ध्वाधर अक्ष के संगत) सभी अस्पताल विजिट की महिलाओं की हिस्‍सेदारी को दर्शाती है।

महिला नेताओं का प्रभाव सेवाओं के उपयोग में लैंगिक अंतराल को कम करने में मददगार है

पहले के साहित्य ने दिखाया है कि, भारत के संदर्भ में, सरकार में महिला नेताओं को स्थान मिलने के कारण महिलाओं की अवधारणा और उनके लिए आकांक्षाओं में पक्षपात में कमी हो सकती है और यह महिला स्वास्थ्य में निवेश को बढ़ा सकता है (बीमैन एवं अन्‍य 2009, बीमैन एवं अन्‍य 2012, भालोत्रा एवं क्लॉट्स-फिगुएरस 2014)। हम यह जांचने के लिए कि क्या स्थानीय महिला का राजनीतिक प्रतिनिधित्व राजस्थान में स्वास्थ्य बीमा के उपयोग में असमानताओं को कम करने में मदद करता है, 2005 और 2015 के बीच तीन पंचवर्षीय अवधियों में ग्राम पंचायतों में महिलाओं के लिए यादृच्छिक आरक्षण का उपयोग करते हैं।7 एक पंचायत में बच्‍चों और प्रसव-योग्‍य आयु की महिलाओं के बीच अस्‍पताल विजिट में, महिलाओं की हिस्‍सेदारी प्रत्येक आरक्षित चुनावी कार्यकाल के साथ 0.8 से 1 प्रतिशत अंक तक बढ़ जाती है। साक्ष्‍य बताते हैं कि ये प्रभाव भामाशाह स्‍वास्‍थ्‍य बीमा योजना के बारे में जागरूकता बढ़ाने के बजाय मातृ और बाल स्वास्थ्य निवेशों में दीर्घकालिक वृद्धि और महिला नेताओं के साथ बार-बार संपर्क सहित गांवों में महिला एजेंसी द्वारा संचालित होते हैं। हालांकि, आरक्षण का लाभ बुजुर्ग महिलाओं तक नहीं पहुंचता है।

समापन टिप्पणी

हमारा यह निष्‍कर्ष कि एक विशाल सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज नीति ने कार्यान्वयन के चार वर्षों में लैंगिक असमानताओं को कम नहीं किया है, इस सामान्य अवधारणा के खिलाफ जाता है कि भौगोलिक पहुंच का विस्तार करने और स्वास्थ्य सेवा की लागत को कम करने से असमानताओं में स्वतः कमी आएगी। इस तरह की लैंगिक-तटस्थ नीतियां महिलाओं द्वारा किए जाने वाले उपयोग के स्तर में वृद्धि कर सकती हैं, लेकिन लैंगिक अंतराल को समाप्‍त करने के लिए ऐसी रणनीतियों की आवश्यकता होती है जो स्पष्ट रूप से महिला देखभाल-मांग और लैंगिक पक्षपात की बाधाओं को लक्षित करने वाली हों।

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टिप्पणियाँ:

  1. भामाशाह स्‍वास्‍थ्‍य बीमा योजना राजस्थान सरकार की बिना नकदी की स्वास्थ्य बीमा योजना है। इस योजना के तहत, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) और राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (आरएसबीवाई) के तहत आने वाले लोग सामान्य बीमारियों के लिए 30,000 रुपये तथा गंभीर बीमारियों के लिए 3 लाख रुपये तक के उपचार लाभों के पात्र हैं।
  2. पीएमजेएवाई आयुष्मान भारत योजना (राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन) के दो घटकों में से एक है, जिसे 2018 में आरंभ किया किया गया था। पीएमजेएवाई एक स्वास्थ्य बीमा कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य गरीब और कमजोर समूहों पर अस्‍पताल में भर्ती होने के परिणामस्‍वरूप पड़ने वाले विनाशकारी वित्तीय बोझ को कम करना है।
  3. यह डेटासेट राजस्थान सरकार और जे-पाल (अब्दुल लतीफ जमील गरीबी एक्शन लैब), दक्षिण एशिया के बीच एक समझौता ज्ञापन के तहत राजस्थान सरकार से प्राप्त किया गया था।
  4. एक ग्राम पंचायत भारत में पंचायती राज व्यवस्था के अंतर्गत गाँव या छोटे शहर के स्तर पर एक स्थानीय स्व-सरकारी संगठन की आधारशिला है और इसके निर्वाचित प्रमुख के रूप में एक सरपंच होता है।
  5. ये आंकड़े राजस्थान राज्य चुनाव आयोग से प्राप्त किए गए थे।
  6. हमने अक्टूबर 2017 और अगस्त 2018 के बीच आवर्ती आधार पर अस्पताल विजिट के यादृच्छिक सबसेट का नमूना लिया, और दावों के आंकड़ों में शामिल संपर्क नंबरों का उपयोग करते हुए रोगियों के साथ फोन सर्वेक्षण (N=20,969) किया। नमूने में अलग-अलग सेवाओं के लिए 13 निजी अस्पताल विजिट के साथ-साथ, प्रसव और हेमोडायलिसिस के लिए सार्वजनिक अस्पताल विजिट को शामिल किया गया।
  7. संविधान के 73वें संशोधन के द्वारा यह अपेक्षित है कि प्रत्येक पाँच वर्ष की अवधि में सभी परिषदीय सदस्यों और सरपंच सीटों में से एक तिहाई महिलाओं के लिए आरक्षित हों, जिसमें प्रत्‍येक चुनाव से पहले ग्राम पंचायतों की सूची से प्रतिस्थापन के साथ यादृच्छिक रूप से आरक्षित सीटें चुनी गई हों।

लेखक परिचय: पास्कलीन ड्यूपास एक विकास अर्थशास्त्री हैं, जो स्टैनफोर्ड किंग सेंटर के ग्लोबल डेव्लपमेंट की फ़ैकल्टि डायरेक्टर हैं। राधिका जैन वर्तमान में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में एशिया हेल्थ पॉलिसी पोस्ट-डॉक्टोरल रिसर्च फेलो हैं।

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