सामाजिक पहचान

रोजगार का मनोसामाजिक मूल्य: एक शरणार्थी शिविर से साक्ष्य

  • Blog Post Date 12 जुलाई, 2022
  • लेख
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Reshmaan Hussam

Harvard Business School

rhussam@hbs.edu

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Gregory Lane

University of Chicago

gvplane@gmail.com

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Fatima Zahra

New York University

fz2095@nyu.edu

रोजगार में आय सृजन के स्पष्ट लाभ-सहित सार्थक मनोसामाजिक लाभ होने की क्षमता के बावजूद, दुनिया के कई सबसे कमजोर समूहों- जिनमें शरणार्थी शामिल हैं, की रोजगार तक पहुंच कम है। यह लेख बांग्लादेश में रोहिंग्या शरणार्थियों के साथ किये गए एक क्षेत्रीय प्रयोग के आधार पर, शरणार्थियों को रोजगार प्रदान करने के प्रभाव का निरीक्षण करता है और यह पाता है कि केवल वेतन-बराबर नकद सहायता राशि प्राप्त करने वालों की तुलना में रोजगार से बेहतर कल्याण होता है तथा स्वाभिमान में वृद्धि होती है।

उत्तरजीविता के लिए काम, कौशल अर्जन और मानवीय गरिमा से जुड़े लाभ सर्वविदित हैं। फिर भी,दुनिया के सबसे कमजोर समूहों में से कई की रोजगार तक पहुंच नहीं है- दुनिया के 260 लाख शरणार्थियों में से 70% से अधिक को काम की तलाश में महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ता है(शूएटलर और कैरन 2020)।

रोजगार का एक स्पष्ट लाभ इससे मिलने वाली आय है,फिर भी काम से होने वाले मनोवैज्ञानिक लाभ का बहुत कम अनुभवजन्य विश्लेषण हुआ है। हाल के एक अध्ययन (हुसाम एवं अन्य 2021) में, हम म्यांमार के रोहिंग्या शरणार्थियों के बीच रोजगार के मनोसामाजिक लाभों का एक कारणात्मक अनुमान प्रस्तुत करके उस अंतर को दूर करने की दिशा में एक कदम का सुझाव देते हैं।

बांग्लादेश में शरणार्थियों की स्थिति

अगस्त और सितंबर 2017 में, म्यांमार के उत्तरी रखाइन राज्य में हुए एक नरसंहार आंदोलन के चलते वहां से रोहिंग्या शरणार्थी भाग गए, जिसे सेना ने 'क्लीयरेंस ऑपरेशंस' के रूप में संदर्भित किया। हफ्तों के भीतर,780,000 से अधिक रोहिंग्या पुरुष,महिलाएं और बच्चे देश छोड़कर भाग गए थे, जिनमें से अधिकांश दक्षिणी बांग्लादेश के कॉक्स बाज़ार जिले के थे। वे 200,000 से अधिक उन रोहिंग्या शरणार्थियों में शामिल हो गए,जो पिछले उत्पीड़न के कारण भाग गए थे। आज, 890,000 से अधिक रोहिंग्या शरणार्थी दुनिया के सबसे बड़े और सबसे घनी आबादी वाले शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं (हुसाम 2019)।

बांग्लादेश स्थायी बस्तियों की अनुमति नहीं देता है,न ही यह शरणार्थियों को औपचारिक कार्य या शिक्षा में संलग्न होने के लिए अधिकृत करता है, क्योंकि इस तरह की पहुंच से शरणार्थियों द्वारा देश में स्थायी निवास प्राप्त किये जाने का जोखिम होगा। इस अवसर से वंचित होने के साथ-साथ, शिविरों में दैनिक जीवन की चुनौतियाँ काफी हैं। शरणार्थी मानसिक और शारीरिक घाव सहते हैं। उनकी स्वच्छ पानी, साफ़-सफाई और स्वास्थ्य सेवाओं तक अपर्याप्त पहुंच है, और वे आग,बाढ़ और हिंसा जैसे बड़े खतरों से घिरे रहते हैं। अधिकांश के पास उनकी रोजमर्रा की खपत हेतु सब्जियां या नमक खरीदने के लिए संसाधनों की कमी है। उन्हें सीमित कानूनी सुरक्षा मिलती है, और उनके बेहतर भविष्य की संभावनाएं धुंधली हैं।

18-45 वर्ष की आयु के पुरुष और महिला शरणार्थियों के हमारे नमूने में, केवल 11% ने पिछले महीने में काम करने की सूचना दी। रोगी स्वास्थ्य प्रश्नावली-9 (PHQ-9)डिप्रेशन डायग्नोस्टिक टूल1 के अनुसार जिन व्यक्तियों ने पिछले महीने बेरोजगार होने की सूचना दी थी, उनके अवसादग्रस्त होने की संभावना 14 प्रतिशत अंक अधिक थी।

एक अध्ययन 

हमारा उद्देश्य काम के गैर-मौद्रिक लाभों को अलग करना था- रोजगार अकेले आय के प्रभाव से परे कल्याण को कैसे प्रभावित करता है? इसके लिए, हमने 745 कामकाजी आयु वर्ग के शिविर निवासियों के साथ काम किया और उनमें से हर एक को तीन समूहों में से एक में यादृच्छिक रूप से शामिल किया। पहले समूह को काम के बदले में पारिश्रमिक प्रदान किया गया। वे सर्वेक्षक के रूप में लगे हुए थे और उन्हें अपने पड़ोस में घूमने और उनके समुदाय के सदस्यों द्वारा की जा रही विभिन्न प्रकार की गतिविधियों को दर्ज करने हेतु प्रतिदिन 2.5 घंटे बिताने के बदले में भुगतान किया गया। उनके इस काम को आर्थिक और सामाजिक साहित्य- दोनों के संदर्भ में 'कार्य' के रूप में ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया था- इसमें प्रतिभागियों द्वारा कुछ शारीरिक और मानसिक प्रयास करने की आवश्यकता थी,और इस उत्पादक कार्य को पूरा करने में कम से कम एक मामूली उद्देश्य की भावना शामिल थी।

दूसरे समूह को नियुक्त नहीं किया गया था,लेकिन उसे नियुक्त समूह के लोगों द्वारा अर्जित मजदूरी के बराबर की राशि बिना शर्त नकद सहायता के रूप में मिली। तीसरा समूह नियंत्रण समूह था जिसे न तो मजदूरी मिली और न ही बिना शर्त नकद सहायता,उसे केवल हमारी शोध टीम द्वारा किए गए सर्वेक्षणों को पूरा करने के बदले छोटा सा पारिश्रमिक मिला।

शरणार्थियों को रोजगार प्रदान करने के मनोसामाजिक लाभ

हमारे अध्ययन के चार प्रमुख निष्कर्ष निकलते हैं। सबसे पहला, हम पाते हैं कि रोजगार उन लोगों की तुलना में महत्वपूर्ण और सार्थक मनोसामाजिक लाभ प्रदान करता है जो नियंत्रण समूह में थे। विशेष रूप से, जिन व्यक्तियों को नियोजित किया गया था,उन्होंने नियंत्रण समूह की तुलना में हमारे मानसिक स्वास्थ्य सूचकांक में 0.21 मानक विचलन2 (एसडी) वृद्धि का प्रदर्शन किया। यह अवसादग्रस्त न होने की संभावना में 9.5 प्रतिशत अंक (50%) की वृद्धि और नियंत्रण समूह के समकक्षों की तुलना में नियुक्त व्यक्तियों के बीच मध्यम या गंभीर रूप से अवसादग्रस्त होने की संभावना में 6.5 प्रतिशत अंक (21%) की गिरावट में अंतरित होता है। वे नियंत्रण समूह की तुलना में शारीरिक रूप से बीमार महसूस करने की रिपोर्ट करने की भी काफी कम संभावना रखते थे और उन्होंने स्मृति और गणित परीक्षणों में भी बेहतर प्रदर्शन किया।

दूसरा, हम पाते हैं कि रोजगार से ऐसे लाभ मिलते हैं जो केवल नकदी सहायता की तुलना में काफी अधिक हैं। ये अंतर पर्याप्त हैं- केवल नकद सहायता प्राप्त करने की तुलना में रोजगार ने मानसिक स्वास्थ्य में चार गुना अधिक सुधार किया। मानसिक स्वास्थ्य सूचकांक से परे,नकदी सहायता की तुलना में रोजगार ने व्यक्तियों के शारीरिक स्वास्थ्य,संज्ञानात्मक प्रदर्शन और जोखिम के प्रति सहनशीलता पर भी काफी बड़ा प्रभाव उत्पन्न किया।

तीसरा,हमने दर्ज किया कि नियुक्त व्यक्ति काम करने के इन गैर-मौद्रिक लाभों को समझते हैं। यह प्रदर्शित करने के लिए कि प्रतिभागी इस काम में शामिल होने के अवसर को कितना महत्व देते हैं, एक प्रोत्साहन प्रेरित अभ्यास3 का उपयोग करते हुए हम पाते हैं कि अधिकांश प्रतिभागी शून्य वेतन के लिए भी काम करना जारी रखने के इच्छुक हैं। हालांकि यह किसी भी तरह से उचित वेतन के एक उपाय के रूप में काम नहीं करना चाहिए (और यह कमजोर आबादी के बीच श्रम और मजदूरी सुरक्षा की आवश्यकता को रेखांकित करता है), अभ्यास से पता चलता है कि प्रतिभागियों के लिए रोजगार के अवसर के गैर-मौद्रिक लाभों का कितना महत्व है।

अंत में, हमारा अध्ययन इस बात का प्रमाण प्रस्तुत करता है कि रोजगार किसी व्यक्ति के स्वाभिमान की भावना को काफी बढ़ाता है,जिसे हम परिवार के प्रति किसी के कथित मूल्य के माध्यम से मापते हैं। हम पाते हैं कि स्वाभिमान पर रोजगार उपचार का गैर-आर्थिक प्रभाव नकद सहायता से 0.18 एसडी अधिक है। विशेष रूप से, यह कार्य समूह के बीच रैंकिंग में 0.12 एसडी वृद्धि और नकद सहायता समूह के बीच 0.06 एसडी कमी (हालांकि अभेद्य)का एक संयोजन है। स्वाभिमान पर यह प्रभाव विशेष रूप से पुरुष श्रमिकों के बारे में  स्पष्ट है- हम अनुमान लगाते हैं कि क्योंकि पुरुष हमारे संदर्भ में पारंपरिक कमाने वाले हैं, उस भूमिका से वंचित होना और 'हैंडआउट' प्राप्त करना उनके लिए विशेष रूप से महंगा हो सकता है। अन्य संदर्भों में बेहतर मानसिक स्वास्थ्य के लिए युक्तिसंगत प्रणाली है,तथापि हमें इस बात का कोई सबूत नहीं मिलता कि कार्य की सामाजिक या समुदाय-केंद्रित प्रकृति हमारी सेटिंग में हमारे द्वारा प्रलेखित प्रभावों के पीछे एक प्रमुख तंत्र है,न ही रोजगार बदलता है कि कैसे व्यक्ति अन्यथा दिन बिताते हैं या अपने नकद समकक्षों की तुलना में प्राप्त मजदूरी कैसे खर्च करते हैं।

नीति निहितार्थ 

हम पाते हैं कि काम के मनोसामाजिक लाभ इस सेटिंग में बड़े अंतर से नकद सहायता से अधिक हैं। यह परिणाम हमारे नमूने के शरणार्थियों द्वारा सामना की जा रही गहन भौतिक दरिद्रता को देखते हुए विशेष रूप से चौंकानेवाले हैं,और फिर भी वे अकेले नकद सहायता की तुलना में रोजगार से काफी अधिक मनोवैज्ञानिक राहत प्रदान करते हैं।

यह परिणाम ‘काम के अधिकार’ की रक्षा पर नीतिगत चर्चाओं के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि रोजगार न केवल कई लोगों के लिए आय के एक (आवश्यक) स्रोत के रूप में कार्य करता है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य में एक आवश्यक इनपुट के रूप में भी कार्य करता है। हमारे परिणाम यह भी दर्शाते हैं कि कमजोर आबादी को बिना शर्त नकद भुगतान पर काम का विकल्प दिए जाने से काफी फायदा हो सकता है- जब इस विकल्प की पेशकश की जाती है,तो जो लोग इच्छुक और सक्षम होते हैं वे आसानी से अपने शारीरिक और मानसिक कल्याण के लिए काम का चयन कर सकते हैं।

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टिप्पणियाँ:

  1. PHQ-9 (रोगी स्वास्थ्य प्रश्नावली-9) एक प्रश्नावली के माध्यम से अवसाद की गंभीरता का मूर्त रूप में आकलन और मूल्यांकन करता है।
  2. मानक विचलन एक ऐसा माप है जिसका उपयोग उस सेट के माध्य मान (औसत) से मूल्यों के एक सेट की भिन्नता या फैलाव की मात्रा को मापने के लिए किया जाता है।
  3. हम प्रोत्साहन प्रेरित बेकर-डीग्रोट-मार्शक (बीडीएम) पद्धति का पालन करते हुए रोजगार समूह में व्यक्तियों को मजदूरी की एक श्रृंखला में एक अतिरिक्त (आश्चर्यजनक) सप्ताह का काम प्रदान करते हैं। विशेष रूप से, हम प्रतिभागियों से पूछते हैं कि क्या वे प्रति दिन 300 टका स्वीकार करने को तैयार हैं। अगर वे हाँ कहते हैं,तो हम पूछते हैं कि क्या वे 200 के लिए काम करने को तैयार होंगे, फिर 100 और आगे इसी तरह पूछते हैं। अगर वे नहीं कहते हैं,तो हम पूछते हैं कि क्या वे 400 के लिए काम करने को तैयार होंगे, फिर 500 और आगे इसी तरह पूछते हैं।

लेखक परिचय:  रेशमा हुसाम हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में बिजनेस, गवर्नमेंट और इंटरनेशनल इकोनॉमी यूनिट में बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। एरिन एम केली विश्व बैंक में विकास प्रभाव मूल्यांकन इकाई में अर्थशास्त्री हैं। ग्रेगरी लेन अमेरिकन युनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। फातिमा जाहरा न्यूयॉर्क युनिवर्सिटी में ग्लोबल टाईज़ फॉर चिल्ड्रन में एक शोध वैज्ञानिक हैं, और हार्वर्ड युनिवर्सिटी में हार्वर्ड केनेडी स्कूल और दक्षिण एशिया संस्थान में नीति डिजाइन के मूल्यांकन के लिए रिसर्च फेलो हैं।

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