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क्या अल्पसंख्यकों के बारे में बातचीत के ज़रिए भेदभाव कम हो सकता है? चेन्नई में ट्रांसजेंडर-विरोधी भेदभाव से जुड़े साक्ष्य
भारत में अल्पसंख्यक अधिकार दिवस भाषाई, धर्म, जाति, लिंग और रंग के आधार पर अल्पसंख्यक लोगों के अधिकारों को बढ़ावा और संरक्षण देने के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है और प्रति वर्ष 18 दिसम्बर को मनाया जाता है। ...
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Duncan Webb
20 दिसंबर, 2024
- लेख
पीढ़ी-दर-पीढ़ी बुनाई : ग्रामीण भारत में पारिवारिक व्यवसायों में उत्पादकता लाभ
हर साल 12 फरवरी को मनाए जाने वाले राष्ट्रीय उत्पादकता दिवस का उद्देश्य अर्थव्यवस्था में उत्पादकता, नवाचार और निपुणता के महत्त्व पर ज़ोर देना है। इसी सन्दर्भ में प्रस्तुत इस लेख में पारिवारिक स्वामित्व ...
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Shreya Banerjee
Aastha Dang
Jane Hammaker
Tarun Jain
Chandan Jain
Divya Pandey
Fatema Patel
13 फ़रवरी, 2024
- लेख
सरकारी नौकरियों के संदर्भ में अत्यधिक प्रतिस्पर्धा की लागत
भारतीय राज्यों में सार्वजनिक सेवाओं में भर्ती हेतु अत्यधिक प्रतिस्पर्धी परीक्षाएं होती हैं जहाँ इन सरकारी रिक्तियों के लिए प्रतिस्पर्धा करते हुए कई युवा लंबे समय तक बेरोजगार रहते हैं। कुणाल मंगल तमिलन...
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Kunal Mangal
26 मई, 2023
- लेख
75 वर्षों के योजनाबद्ध विकास के बाद आदिवासी आजीविका की स्थिति
भारत में आदिवासी समुदाय की भलाई सुनिश्चित करने हेतु सतत प्रयास किये जाने के बावजूद, यह समुदाय सबसे वंचितों में से एक रहा है। चौधरी एवं घोष ने इस लेख में झारखंड तथा ओडिशा में रहने वाले आदिवासी समाज की ...
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Dibyendu Chaudhuri
Parijat Ghosh
02 मार्च, 2023
- लेख
'इंडियन मैचमेकिंग': कामकाजी महिलाओं को विवाह बाजार में नुकसान (पेनल्टी)
भारत में महिला शिक्षा दरों में वृद्धि के बावजूद, विश्व स्तर पर भारत में महिला श्रम-शक्ति भागीदारी दर सबसे कम में से है। शादी डॉट कॉम (Shaadi.com) पर उपलब्ध प्रोफाइल के माध्यम से एकत्र किए गए डेटा का उ...
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Diva Dhar
21 जुलाई, 2022
- लेख
रोजगार का मनोसामाजिक मूल्य: एक शरणार्थी शिविर से साक्ष्य
रोजगार में आय सृजन के स्पष्ट लाभ-सहित सार्थक मनोसामाजिक लाभ होने की क्षमता के बावजूद, दुनिया के कई सबसे कमजोर समूहों- जिनमें शरणार्थी शामिल हैं, की रोजगार तक पहुंच कम है। यह लेख बांग्लादेश में रोहिंग्...
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Reshmaan Hussam
Erin M. Kelley
Gregory Lane
Fatima Zahra
12 जुलाई, 2022
- लेख
व्यापार, आंतरिक प्रवास और मानवीय पूंजी: भारत में आईटी में तेजी का फायदा किसे हुआ
भारतीय अर्थव्यवस्था में 1993-2004 के दौरान व्यापार में विस्तार हुआ और आईटी में तेजी आई। कुछ चुनिंदा बड़े शहरों में केंद्रित उच्च कौशल-गहन क्षेत्र में हुए शानदार विकास ने देश भर में असमानता को कैसे प्र...
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Devaki Ghose
05 अप्रैल, 2022
- लेख
मनरेगा निधि का आवंटन: मांग आधारित काम की गारंटी का भुगतान
केंद्र ने मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) के लिए वित्त पोषण हेतु अतिरिक्त राशि के रूप में रुपये 25,000 करोड़ की मांग की है। अश्विनी कुलकर्णी ने आधिकारिक आंकड़ों का उपयोग...
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Ashwini Kulkarni
07 जनवरी, 2022
- लेख
शहरीकरण, लैंगिक और सामाजिक परिवर्तन: अंतर-वैवाहिक पदानुक्रम और कामकाजी माताओं के बारे में धारणाएं
भारत में महिलाएं अवैतनिक घरेलू काम करते हुए अपने परिवार के पुरुषों की तुलना में तीन गुना अधिक समय बिताती हैं, और दोगुना समय बच्चों और आश्रित वयस्कों की देखभाल संबंधी गतिविधियों में बिताती हैं। यह ले...
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Shubhangi Karia
Tanvi Mehta
21 दिसंबर, 2021
- लेख
शहरीकरण, लैंगिक और सामाजिक परिवर्तन: उत्तर भारत में महिलाओं की गतिशीलता
यद्यपि भारत में लैंगिक समानता को बढ़ावा देने वाले संरचनात्मक और सामाजिक परिवर्तन कई मायनों में हुए हैं, महिलाओं की प्रत्यक्ष गतिशीलता अभी भी बहुत कम है। यह लेख, उत्तर भारत के तीन शहरी समूहों के प्राथम...
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Vidisha Mehta
Harish Sai
20 दिसंबर, 2021
- लेख
शहरीकरण, लैंगिक और सामाजिक परिवर्तन: क्या कामकाजी महिलाएं अधिक स्वायत्तता अनुभव करती हैं?
भारत में महिलाओं की कार्य में सीमित भागीदारी न केवल आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका असर उनके कल्याण और सामाजिक स्थिति पर भी होता है। यह लेख, उत्तर भारत के चार शहरी समूहों में किये गए एक घरे...
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Megan Maxwell
Milan Vaishnav
17 दिसंबर, 2021
- लेख
शहरीकरण, लैंगिक और सामाजिक परिवर्तन: भारत में महिला श्रम-शक्ति की भागीदारी इतनी कम क्यों है?
भारत में महिलाओं की श्रम-शक्ति में भागीदारी एक जटिल सामाजिक मसला है, जो अन्य बातों के अलावा– पितृ-सत्तात्मक मानदंड, ग्रामीण-शहरी संक्रमण, और मांग एवं आपूर्ति कारकों के बेमेल होने के परिणामस्वरूप उत्पन...
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Deepaboli Chatterjee
Neelanjan Sircar
15 दिसंबर, 2021
- लेख