Tag Search: “खाद्य सुरक्षा”

वस्तु-रूपी हस्तांतरण : डेडवेट हानि या लाभ?

क्या सामाजिक सहायता के लिए वस्तु-रूप में दिया जाने वाला हस्तांतरण उपभोक्ता की पसंद को सीमित करके ‘डेडवेट लॉस’ की ओर ले जाता है? इस लेख में महाराष्ट्र में हुए एक प्रयोग से प्राप्त निष्कर्षों को प्रस्तु...

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निम्न आय वाले व्यक्तियों को अनाज सब्सिडी और उनके द्वारा ‘जंक फूड’ की खरीद

सरकारें कम आय वाले समुदायों में कुपोषण को दूर करने के लिए महंगे खाद्य सब्सिडी कार्यक्रमों पर निर्भर हैं, हालाँकि उनका प्रभाव स्पष्ट नहीं है क्योंकि खाद्य खरीद निर्णयों के सम्बन्ध में केवल स्व-रिपोर्ट ...

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मध्य भारत के आदिवासी समुदाय : चुनौतियाँ और आगे की राह

‘आदिवासी आजीविका की स्थिति’ रिपोर्ट ने एक बार फिर मध्य भारत में जनजातियों की भयावह स्थिति की ओर ध्यान आकर्षित किया है। विश्व के मूल व आदिवासी लोगों के अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने और उनकी रक्षा क...

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पिछले तीन दशकों में भारत में मोटे अनाज की खपत और व्यापार

गत वर्ष, 2023 को 'अंतर्राष्ट्रीय कदन्न वर्ष’ के रूप में मनाया गया। जलवायु परिवर्तन के झटकों को देखते हुए बढ़ती जनसँख्या को भविष्य के खाद्य संकट से बचाने में मोटे अनाजों की एक बड़ी भूमिका हो सकती है। कदन...

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खेत से थाली तक : भारत में सतत पोषण हेतु मोटे अनाज या मिलेट्स पर एकीकृत प्रयास आवश्यक

वर्ष 2023 को कदन्न, मोटे अनाजों या मिलेट्स के अंतर्राष्ट्रीय वर्ष के रूप में मनाया गया और आई4आई द्वारा आयोजित ई-संगोष्ठी के इस आलेख में, कुमार, दास और जाट मोटे अनाजों की खेती बढ़ाने की क्षमता के बारे ...

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मातृत्व पर पोषण का बोझ : क्या बच्चों को दिया जाने वाला मध्याह्न भोजन उनकी माताओं के स्वास्थ्य परिणामों में भी सुधार ला सकता है?

मध्याह्न भोजन बच्चों को पोषण सुरक्षा जाल प्रदान करता है और उनके अधिगम परिणामों तथा स्कूलों में उनकी उपस्थिति में सुधार लाता है। निकिता शर्मा तर्क देती हैं कि मध्याह्न भोजन प्राप्त करने वाले बच्चों की ...

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शहरी अपवर्जन (बहिष्करण): कोविड-19 के मद्देनजर भारत में सामाजिक सुरक्षा पर पुनर्विचार करना

कोविड-19 के शुरुआती दिनों में लॉकडाउन के कारण हुई आर्थिक असुरक्षा के चलते कई परिवार अपनी उपभोग जरूरतों को पूरा करने के लिए सरकारी कल्याणकारी योजनाओं पर निर्भर रहने के लिए मजबूर हुए। यह लेख दिल्ली एनसी...

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सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस), राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम और कोविड-19

2013 में लागू किया गया राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में मूलभूत सुधार ले आया और सबसे महत्वपूर्ण इसके जरिये कानूनी रूप से भोजन का अधिकार' दिया गया। यह लेख ब...

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कोविड-19 संकट और खाद्य सुरक्षा

2020 में कोविड -19 के प्रसार को रोकने के लिए भारत में लगाए गए राष्ट्रीय लॉकडाउन ने लाखों लोगों को बेरोजगार कर दिया और जो लोग रोज़गार में बने रहे उनकी कमाई में तेजी से कमी आई। बहु-राज्य सर्वेक्षणों के आ...

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कोविड-19: बिहार की सरकारी योजनाएँ कमजोर आबादी की सहायता कितने अच्छे से कर रहीं हैं?

कोविड-19 महामारी और उससे जुड़े लॉकडाउन का तत्काल प्रतिकूल प्रभाव ऐसे प्रवासी श्रमिकों और उनके परिवारों पर काफी अधिक देखा गया जिनकी अपने मूल गांवों में सरकारी योजनाओं तक पहुंचने की क्षमता अनिश्चित थी। ...

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कृषि कानून: सकारात्मक परिणामों के लिए क्षमतावान

सिराज हुसैन का तर्क है कि यद्यपि कृषि कानून भारतीय कृषि के लिए मध्यम-से-लंबी अवधि में लाभकारी हो सकते हैं परंतु यदि उन्‍हें पारित कराने के लिए संसदीय प्रक्रियाओं का पालन किए जाता और आम सहमति बनाने के ...

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कृषि कानून: कायापलट करने वाले बदलाव लाने की संभावना कम है

इस पोस्ट में संजय कौल ने कृषि कानून से सभी हितधारकों (किसानों, व्यवसायियों, कमीशन एजेंटों, और सरकार) को होने वाले लाभों और कमियों पर चर्चा की है। इसमें शामिल गतिशीलता को देखते हुए उन्होने यह निष्कर्ष ...

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