Tag Search: “लोक स्वास्थ्य”
बिहार में शराबबंदी का जीवन साथी द्वारा हिंसा पर प्रभाव
इस लेख में वर्ष 2016 में बिहार में शराब की बिक्री और खपत पर लगाए गए पूर्ण प्रतिबंध के कारण महिलाओं के प्रति उनके जीवन साथी द्वारा होने वाली हिंसा की घटनाओं पर पड़े प्रभाव की जांच की गई है। एनएफएचएस ...
- Sisir Debnath Sourabh Paul Komal Sareen
- 10 अगस्त, 2023
- लेख
फिल्में किस तरह से नकारात्मकता (स्टिग्मा) और पसंद को प्रभावित करती हैं- भारतीय फार्मास्युटिकल उद्योग से साक्ष्य
हाल ही में, शैक्षिक मनोरंजन सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दों के समाधान के लिए एक मंच के रूप में उभरा है। इस लेख में, अग्रवाल, चक्रवर्ती और चैटर्जी जांच करते हैं कि क्या फिल्में स्वास्थ्य देखभाल के प्रति नक...
- Mayank Aggarwal Anindya Chakrabarti Chirantan Chatterjee
- 06 जुलाई, 2023
- लेख
अस्पताल की जवाबदेही में सुधार हेतु मरीज़ों को जानकारी देकर सशक्त बनाना
समूचे भारत में गरीबों के लिए मुफ्त स्वास्थ्य सेवा में विस्तार होने के बावजूद, कई अस्पतालों ने मरीज़ों की जेब से फीस लेना जारी रखा है। डुपास और जैन ने अपने अध्ययन में, इस बात की जांच की है कि क्या मरीज़ो...
- Pascaline Dupas Radhika Jain
- 02 जून, 2023
- लेख
क्या ग्रामीण उत्तर भारत में अभी भी खुले में शौच प्रचलित है?
स्वच्छ भारत मिशन के बाद चार फोकस वाले राज्यों में प्रचलित खुले में शौच को समझने की कोशिश में, व्यास और गुप्ता एनएफएचएस-5 के निष्कर्षों का मूल्यांकन करते हैं। वे पाते हैं कि पारिवारिक स्तर पर एकत्र किए...
- Aashish Gupta Sangita Vyas
- 23 फ़रवरी, 2023
- लेख
मानव और पारिस्थितिकी तंत्र स्वास्थ्य किस प्रकार से आपस में जुड़े हुए हैं: भारत में गिद्धों की संख्या में गिरावट से साक्ष्य
भारत के किसान परंपरागत रूप से अपने मृत मवेशियों के शवों के निपटान हेतु गिद्धों पर भरोसा करते आये हैं। किन्तु आकस्मिक विषाक्तता के चलते भारत में गिद्धों की संख्या कम हो जाने के कारण मृत मवेशियों के शवो...
- Eyal Frank Anant Sudarshan
- 16 फ़रवरी, 2023
- लेख
अत्यंत गरीब लोंगो में संकट की स्थितियों में डटे रहने की क्षमता का विकास करना
मौजूदा सामाजिक सुरक्षा तंत्र में समावेशन की कमी होने के कारण गरीबों की कमजोरियां और बढ़ जाती हैं और इसके कारण वे संकट के दौरान पर्याप्त मात्रा में सहायता से वंचित रह जाते हैं। इस लेख में शगुन सबरवाल औ...
- Maximilian Lohnert Shagun Sabarwal
- 19 जनवरी, 2021
- लेख
भारत में मानसिक स्वास्थ्य असमानताएँ
सामाजिक समूहों के बीच शारीरिक स्वास्थ्य असमानताओं को लेकर अब तक काफी शोध किया जा चुका है, लेकिन इसमें मानसिक स्वास्थ्य का पहलू अब तक अनदेखा है। 2007-2008 में छह भारतीय राज्यों में डब्ल्यूएचओ द्वारा कि...
- Diane Coffey Aashish Gupta Meghana Mungikar
- 18 दिसंबर, 2020
- लेख
बाधित महत्वपूर्ण देखभाल सुविधाएं: कोविड-19 लॉकडाउन और गैर-कोविड मृत्यु दर
कोविड के प्रसार को रोकने के लिए भारत में 10 हफ्तों तक चला राष्ट्रीय लॉकडाउन दुनिया के सबसे कड़े लॉकडाउनों में से एक था। यह लेख उन रोगियों के स्वास्थ्य की देखभाल तक पहुँच और स्वास्थ्य परिणामों पर लॉकडा...
- Pascaline Dupas Radhika Jain
- 16 नवंबर, 2020
- लेख
ड्यूएट: दूसरे देशों के अनुभवों से सीखना
ज्यां द्रेज़ के ड्यूएट प्रस्ताव पर टिप्पणी करते हुए मार्टिन रेवेलियन यह सुझाव देते हैं कि इसमें तीन चरणों की आवश्यकता है: समान नीतियों वाले दूसरे देशों के अनुभवों से सीखना, वृद्धि पर विचार करने से पहले...
- Martin Ravallion
- 01 अक्टूबर, 2020
- दृष्टिकोण
ड्यूएट: 'कैसे' से पहले 'क्यों' को संबोधित करना
ज्यां द्रेज़ के ड्यूएट प्रस्ताव और इससे संबंधित विचारों पर टिप्पणी करते हुए अशोक कोटवाल यह तर्क देते हैं कि हमें इस तरह के शहरी निर्माण कार्यक्रम के डिज़ाइन के विवरण का गहन अध्ययन करने से पहले इसके औच...
- Ashok Kotwal
- 29 सितंबर, 2020
- दृष्टिकोण
ड्यूएट: रोजगार सृजन को शहरी स्थानीय निकायों में विकेंद्रीकृत करना
दिलीप मुखर्जी रोजगार सृजन को शहरी स्थानीय निकायों में विकेंद्रीकृत करने के ज्यां द्रेज़ के सुझाव का समर्थन करते हैं और कहते हैं कि अभी तक शहरी स्थानीय सरकार के अशक्त स्वभाव के कारण शहरी नवीकरण, स्वच्छ...
- Dilip Mookherjee
- 26 सितंबर, 2020
- दृष्टिकोण
ड्यूएट: छोटे शहरों के सार्वजनिक कार्यों में रोजगार कार्यक्रम
भारत के शहरों में, विशेषकर देश में युवाओं की बढ़ती हुई आबादी के बीच, बेरोजगारी एवं कम नियुक्तियों को देखते हुए प्रणब बर्धन शहरों के सार्वजनिक कार्यों में रोजगार कार्यक्रम की आवश्यकता पर बल देते हैं। उ...
- Pranab Bardhan
- 24 सितंबर, 2020
- दृष्टिकोण